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कवियों ने रखे विचार, सम्मेलनों का मंच अब दो वर्गों में बंटा
डिजिटल डेस्क, नागपुर. शहर में आयोजित कवि सम्मेलन में शामिल होेने विभिन्न राज्यों से पधारे कवियों ने दैनिक भास्कर कार्यालय में भेंट दी। इस दौरान कवि सम्मेलनों व कविताओं के बदले हुए दौर को लेकर चर्चा की। कवियों में बकुल देव (जयपुर), अविनाश मिश्रा, नईम सरमद, मुदिता रस्तोगी, जुबेर सैफी दिल्ली और रचित दीक्षित ग्वालियर शामिल थे।
बदलाव हुआ है : बकुलदेव ने कहा कि कवि और कवि सम्मेलनों में काफी बदलाव हुआ है। 70 के दशक तक जो लोग मंच के कवि होते थे, वे साहित्यिक भी होते थे। इसके बाद कवि सम्मेलनों का मंच दो वर्गों में बंट गया। एक साहित्यिक कवियों का हुआ और दूसरा वर्ग श्रोताओं की तालियां बटोरने वाला हुआ।
सम्मेलनों का औचित्य नहीं : कवि रचित दीक्षित ने कहा कि मंच के कवि श्रोताओं का स्तर देखकर कविता करते हैं। उनकी रचनाएं श्रोताओं की तालियां बटोरने के लिए होती हैं। ऐसे में कवि सम्मेलनों का औचित्य ही नहीं रह जाता।
आधार वामपंथी विचारधारा
कवि अविनाश मिश्रा ने कहा कि वर्तमान में कविताओं का आधार वामपंथी विचारधारा पर आधारित है। शासन व्यवस्था में शासन व्यवस्था और समाज की विडंबना को आधार बनाकर कविताओं की प्रस्तुति की जाती है।
Created On :   10 April 2022 5:47 PM IST