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स्कूली शिक्षा से बाहर बच्चों की सही संख्या कोर्ट को नहीं बता पाई मनपा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महाराष्ट्र भर में स्कूली शिक्षा से बाहर बच्चों की वास्तविक संख्या को सार्वजनिक करने को लेकर दायर की गई एक याचिका के जवाब में मनपा ने 3-6 साल तक के बच्चों की जगह 10-18 साल तक के बच्चों के आंकड़े कोर्ट को दे दिए। याचिका पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने महाराष्ट्र भर में सर्वेक्षण करने के निर्देश सरकार को दिए थे।
इससे पहले की सुनवाई में महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट को बताया था कि प्रदेश में 3-6 वर्ष के करीब 96 हजार बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें आंगनवाड़ी जैसी प्रारंभिक शिक्षा भी नसीब नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने गुरुवार तक नागपुर महानगर पालिका को शहर में 3 से 6 वर्ष के आंगनवाड़ी शिक्षा से दूर बच्चों का ब्योरा मांगा था।
कोर्ट ने गुरुवार को मनपा का पक्ष सुनकर, याचिकाकर्ता मंगेश इंदापवार को इसपर उत्तर प्रस्तुत करने के आदेश जारी किए है। दरअसल शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है। इस याचिका में इसी मुद्दे के साथ नवजात बच्चों के सही पोषण और 3-6 वर्ष के बच्चों की प्राथमिक आंगनवाड़ी शिक्षा का मुद्दा भी उठाया गया है।
यह है मामला
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में शिक्षा से दूर विद्यार्थियों का मुद्दा उठाया है। याचिकाकर्ता के मुताबिक सर्व शिक्षा अभियान के बाद भी महाराष्ट्र में बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे हैं, जो स्कूल तक नहीं जा रहे। 14 वर्ष से नीचे के बच्चों को अनिवार्य रूप से शिक्षा मिलनी चाहिए, मगर शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद भी तमाम बच्चे प्राथमिक शिक्षा से वंचित हैं। इसी संदर्भ में जनहित याचिका कोर्ट में दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि शिक्षा का अधिकार कानून का ठीक से पालन नहीं हो रहा है।
Created On :   4 Aug 2017 6:05 PM IST