पत्रकारिता पर चौतरफा दबाव, वास्तविक और व्यवहारिक स्थितियों के बीच संतुलन साधने की जरूरत - सुरजन

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पत्रकारिता पर चौतरफा दबाव, वास्तविक और व्यवहारिक स्थितियों के बीच संतुलन साधने की जरूरत - सुरजन
पत्रकारिता पर चौतरफा दबाव, वास्तविक और व्यवहारिक स्थितियों के बीच संतुलन साधने की जरूरत - सुरजन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। चौतरफा दबाव के बीच काम कर रहे समाचार पत्र और पत्रकारिता दोनों के सामने आज कई चुनातियां हैं। इसके बीच समाज की बेहतरी के लिए बदलाव लाने के लिए काम कर रहे पत्रकारों को वास्तविक और व्यवहारिक स्थितियों के बीच संतुलन साध कर काम करने की जरूरत है। संतुलन सोच में व्यापकता से संभव है और इसके लिए अध्ययन की जरूरत है। ये विचार देशबंधु पत्र समूह के प्रधान संपादक ललित सुरजन ने व्यक्त किए। वे डीबी स्टार की चौथी वर्षगांठ पर दैनिक भास्कर में आयोजित चर्चासत्र में बोल रहे थे। इस अवसर पर मनपा आयुक्त अभिजीत बांगर ने कहा कि प्रशासन और पत्रकार दोनों का उदेश्य लोगों की समस्याओं को समझना  और उनका निराकरण करना है। कार्यक्रम में दैनिक भास्कर के डायरेक्टर सुमित अग्रवाल,  ग्रुप एडिटर प्रकाश दुबे, एडिटर मणिकांत सोनी, डीबी स्टार के एडिटर संजय देशमुख, सतीश राकां, सुप्रियो दास गुप्ता, आनंद निर्बान समेत डीबी स्टार की टीम प्रमुखता से उपस्थित थी। इस अवसर पर डीबी स्टार के सहयोगियों काे पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का संचालन रघुनाथ सिंह लोधी ने किया। आभार प्रदर्शन आनंद निर्बान ने माना। 

जनता को क्या चाहिए, इसका रखें ध्यान

पत्रकारिता पर बढ़ते चौतरफा दबाव की चर्चा करते हुए ललित सुरजन ने कहा कि देश में नेताओं की बढ़ती संवेदनशीलता भी अखबारों पर दबाव बढ़ा रही है। आज हर नेता अतिसंवेदनशील हो चुका है ऐसे में अखबार या सोशल मीडिया पर आने वाली खबरों पर कटु प्रतिक्रियाएं सामान्य होती जा रही हैं। इसके बावजूद अच्छा काम करने वालों की सराहना की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जनता क्या चाहती है और जनता को क्या चाहिए के बीच पत्रकारों को क्या चाहिए इसे ध्यान में रखकर काम करना चाहिए। इसके लिए उन्हें अपनी जिम्मेदारी को समझकर संतुलन साध कर तमाम दबावों के बीच संयमित भाषा का उपयोग करना चाहिए। गुणवत्तापूर्ण कार्य के लिए अध्ययन उनके लिए बहुत काम का साबित हो सकता है। 

खबरें सुधार की गुंजाइश बताती हैं

मनपा आयुक्त अभिजीत बांगर ने कहा कि लोकसेवा और पत्रकारिता केवल कॅरियर नहीं है। ये दोनों में समाज के प्रति उत्तरदायित्व की भावना प्रबल होती है। दोनों ही क्षेत्र में काम कर रहे लोगों के सामने अपने दायित्वों पर खरा उतरने की चुनौती होती है।  खबरें एक तरह से सुधार की गुंजाइश बताती हैं। इससे तय करने में मदद मिलती है कि किस दिशा में सुधार की क्या आवश्यकता है।   
 

Created On :   25 Jun 2019 8:24 PM IST

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