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दो करोड़ की कर्ज माफी, किसान परिवार फिर भी बेहाल

डिजिटल डेस्क,नागपुर। किसानों की उन्नति को लेकर सरकार योजना तो बनाती है लेकिन इन योजनाओं का सिस्टम ठीक न होने से लाभार्थियों को योजना का फायदा नहीं मिलता। बुलढाणा जिले में 2 करोड़ की कर्ज माफी की योजना में अनियमितता पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कर्जमाफी की योजना ठीक से लागू होनी चाहिए थी, लेकिन बुलढाणा जिले में ऐसा नहीं हुआ। एक जिले के हालात से यह समझना आसान है कि पूरे राज्य में कर्जमाफी किस तरह हुई होगी। बुलढाणा जिले में बगैर जांच पड़ताल कर 2 करोड़ रुपए की कर्जमाफी करने के फैसले को हाईकोर्ट ने लोकतंत्र के लिए घातक बताया है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से साहूकारी कर्जमाफी के लिए नीति निर्धारित करने के आदेश दिए हैं। साथ ही कर्जमाफी के आवेदनों की पड़ताल के लिए जिला स्तरीय समिति में दीवानी न्यायाधीश को शामिल करने के आदेश जारी किए हैं।
यह है मामला
बुलढाणा जिले के किसान कैलाश पाचपोर सहित 10 लोगों ने हाईकोर्ट में यह जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता के अनुसार वर्ष 2015 में राज्य सरकार ने साहूकारी कर्जमाफी की घोषणा की थी। इसके चार माह पूर्व राज्य सरकार ने सभी साहूकारों से उनके दस्तावेज जप्त कर लिए थे, ताकि किसानों द्वारा जमा किए गए गहने या दस्तावेजों में हेर-फेर नहीं हो सके। इस योजना के लिए जिला और तहसील स्तरीय समितियों का गठन किया गया। तहसील स्तरीय समिति ने याचिकाकर्ता सहित 19 किसानों को कर्जमाफी का पात्र ठहराया था, लेकिन जिल स्तरीय समिति ने 4 लोगों को छोड़कर अन्य 15 किसानों को कर्जमाफी के लिए अपात्र करार दिया था। जिसके बाद किसानों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। हाईकोर्ट के आदेश पर जिला स्तरीय समिति ने दोबारा आवेदनों की पड़ताल की और फिर 4 किसानों को छोड़कर 11 किसानों को कर्जमाफी के लिए अपात्र करार दिया गया था। जिसके बाद किसानों ने फिर एक बार हाईकोर्ट की शरण ली थी। याचिकाकर्ता की ओर से एड.पुरुषोत्तम पाटील और सरकार की ओर से सरकारी वकील मेहरोज खान पठान ने पक्ष रखा।
1 करोड़ 97 लाख की कर्जमाफी का दावा
इस मामले में जिला स्तरीय समिति ने हाईकोर्ट में दावा किया कि सरकार ने जिले में 1 करोड़ 97 लाख रुपए की कर्जमाफी की है। इससे कोर्ट के निरीक्षण में आया कि आधा एकड़ से भी कम खेत रखने वाले किसानों को भी लाखों रुपए की कर्जमाफी दी गई। सरकार ने साहूकारों के दस्तावेजों की ठीक से पड़ताल नहीं की है। बगैर ठोस पड़ताल के इतनी बड़ी कर्जमाफी पर हाईकोर्ट ने सवाल उठाए हैं। साथ ही इसके राज्यस्तरीय प्रभाव पर भी चिंता व्यक्त की है।
Created On :   1 Feb 2018 2:56 PM IST