गिरता जा रहा बेरोजगारों को कर्ज देने का ग्राफ, कर्ज वितरण में आई कमी

Decreasing Graph of loan to unemployed, Lack of loan distribution
गिरता जा रहा बेरोजगारों को कर्ज देने का ग्राफ, कर्ज वितरण में आई कमी
गिरता जा रहा बेरोजगारों को कर्ज देने का ग्राफ, कर्ज वितरण में आई कमी


डिजिटल डेस्क, नागपुर। बेरोजगारों को खुद के पैरों पर खड़ा करने के लिए आई मुद्रा लोन योजना का ग्राफ समय के साथ गिरता जा रहा है। कर्जदार का डाटा देख मुद्रा लोन देने का अधिकार बैंक मैनेजर को है। समय के साथ कर्ज वितरण का ग्राफ गिर रहा है। बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए मुद्रा लोन योजना लाई गई। इसमें शिशु, किशोर और तरुण ऐसे तीन वर्ग तैयार किए गए। शिशु वर्ग में 10 हजार से 50 हजार, किशोर वर्ग में 50 हजार से 5 लाख और तरुण वर्ग में 5 लाख से 10 लाख तक कर्ज दिया जाता है। 2016-17 में शुरू हुई इस योजना की चर्चा नागपुर समेत पूरे देश में जोरशोर से हुई। मुद्रा लोन के लिए बैंकों में बेरोजगारों की कतारें लग गई। सरकार ने भी बेरोजगारों को खुद के पैरों पर खड़ा करने के दावे किए। सरकारी आंकडों पर गौर करे तो समय के साथ कर्ज वितरण का ग्राफ गिरता जा रहा है। शिशु वर्ग की बात करे तो 2016-17 में 259586 लोगों को कर्ज दिया गया, वहीं साल 2018-19 में 162984 लोगों को ही कर्ज दिया गया। इस साल 19 जुलाई तक केवल 67589 लोगों को ही कर्ज वितरण हुा। किशोर वर्ग के कर्ज का भी यहीं हाल है। 2016-17 में 13446 तो 2018-19 में 9158 बेरोजगारों को ही कर्ज बांटा गया। इस साल 19 जुलाई तक केवल 5994 बेरोजगारों काे ही कर्ज मिल सका।

बैंक अधिकारी जिम्मेदार

मुद्रा लोन में कर्ज मांगनेवाले का सारा डाटा जैसे कारोबारी का व्यावहारिक चरित्र, बैंक बैलेंस, रिपमेंट की स्थिति, प्रतिष्ठान या कारखाने की जगह आदि का निरीक्षण किया जाता है। इससे संतुष्ट होने के बाद ही बैंक अधिकारी आगे की कार्रवाई करता है। सरकार ने मुद्रा लोन का रिपेमेंट (भुगतान) नहीं होने पर संबंधित बैंक अधिकारी पर इसकी जिम्मेदारी डाली है। यह शर्त ही बैंक अधिकारी के लिए मुसिबत बन गई है। बैंक अधिकारी जोखिम नहीं लेना चाहते।

कई खाते एनपीए में गए

2016-17 में अचानक सुर्खियों में आई इस योजना का लाभ जिले में लाखों बेरोजगारों ने उठाया। इसका कारण कई खाते एनपीए में गए। बैंक अधिकारी संबंधित लोगों के घर के चक्कर काट रहे है। इस कटू अनुभव के कारण भी बैंक अधिकारी फूंक फूंककर कदम उठा रहे हैं। रीपेमेंट की अनियमित स्थिति को देखते हुए सरकार भी मुद्रा लोन देने का दबाव कम बना रही है।

रीपेमेंट की स्थिति देखना जरूरी है

मुद्रा लोन बांटते समय कर्जदाता की रिपेमेंट की स्थिति और कर्ज जिस काम के लिए लिया जा रहा है, उसका निरीक्षण करना जरूरी है। कई खाते एनपीए में चले गए। पहले मुद्रा लोन का टारगेट ज्यादा था। अब टारगेट कम होने के साथ ही अधिकारी अपने विवेक से हर चीज देख रहे है। जोखिम लेना ठीक नहीं हैै। पात्र लोगों को आसानी से कर्ज दिया जा रहा है। 

Created On :   24 Aug 2019 8:46 AM GMT

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