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गर्मी में घटी कृषि कार्यों में बिजली की मांग, जनता को राहत

डिजिटल डेस्क, नागपुर । विदर्भ लू की चपेट में है, तो राज्य के अधिकांश स्थानों पर पारा 40 डिग्री के ऊपर चल रहा है। कूलर, एयर कंडीशनर और पंखों के बिना जीना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में बिजली की मांग में कमी सुखद आश्चर्य है। इस साल शेष महाराष्ट्र में बिजली की रिकार्ड मांग अप्रैल में 20800 मेगावाट को छू गई थी, जो अप्रैल के अंतिम दिन गिरकर 16700 मेगावाट पर आ गई है। जबकि गर्मी खासी बढ़ी है। गर्मी के मौसम में बिजली की मांग अधिक होती है।
पावर एक्सचेंज में भी भाव नई ऊचाइयों पर होते हैं। ऐसे में शेष महाराष्ट्र में बिजली की मांग घटना, उपभोक्ताओं के लिए बढ़ी राहत लेकर आई है। इसका कारण है कृषि कार्यों में बिजली की मांग का घटना।
किसान कर रहे हैं खेत तैयार
महाराष्ट्र में करीब 41 लाख कृषि कनेक्शन हैं, जो देश के किसी भी राज्य में सबसे अधिक हैं। इनमें से 39 लाख से अधिक कृषिपंप कनेक्शन चालू हैं। कृषि कार्य के समय इन्हें 5000 मेगावाट से अधिक बिजली की जरूरत होती है। फिलहाल रबी की फसल कट चुकी है और किसान खरीब की फसल के लिए खेत तैयार कर रहे हैं। इससे कृषिपंप बंद हैं। इससे बिजली की मांग यहां घटी है।
ताप बिजलीघर जूझ रहे कोयले के संकट से
कृषि पंप में बिजली की मांग घटने और महावितरण के विद्युत प्रबंधन के चलते प्रदेश लोडशेडिंग के शिकंजे में फंसते-फंसते बच गया है। इस बार ताप बिजलीघर कोयले के संकट से जूझ रहे हैं, तो प्रदेश का सबसे बढ़ा सरकारी चंद्रपुर का ताप विद्युत केंद्र पानी की कमी से जूझ रहा है। यहां की 500 मेगावाट की 2 इकाइयां पानी की कमी के चलते बंद हैं। जबकि अदानी पावर में कोयले का टोटा बना हुआ है। इसके चलते 3300 मेगावाट के बिजलीघर से रविवार को मात्र 1300 मेगावाट बिजली मिल पा रही थी।
एनटीपीसी मौदा बिजलीघर में भी कोयले का स्टाक नहीं है। रोज पहुंच रहे रैक के भरोसे ही बिजलीघर चल पा रहा है। ऐसे में कृषि-पंप में बिजली की खपत घटने से प्रदेश को बढ़ी राहत मिली है। महावितरण ने भी बिजलीघरों के हालात देखते हुए बिजली खरीद प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया। प्रबंध निदेशक संजीवकुमार के मार्गदर्शन में जल विद्युत केंद्र, लघुकालीन निविदा व पावर एक्सचेंज से खरीद का सटीक प्रबंधन किया गया।
Created On :   2 May 2018 3:38 PM IST