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सुशांत पर बनी फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग, हाईकोर्ट पहुंचा मामला
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट में दिवंगत फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपुत पर बन रही फिल्म ‘न्याय-दि जस्टिस’ के प्रदर्शन व विज्ञापन पर रोक लगाने की मांग को लेकर अपील स्वरुप दावा दायर किया गया था। इससे पहले दिंडोशी कोर्ट ने इस विषय पर दावा दायर करनेवाले कारोबारी व सामाजिक कार्यकर्ता मनीष मिश्रा के दावे को 22 दिसंबर 2020 को खारिज कर दिया है। मिश्रा ने अब निचली अदालत के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
बुधवार को न्यायमूर्ति पीके चव्हाण के सामने मिश्रा की ओर से दायर किए गए दावे पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि आखिर आपको (मिश्रा) यह कैसे पता चला है कि फिल्म में क्या-क्या दिखाया गया है। इससे पहले कोर्ट को बताया गया कि फिल्म में राजपूत की प्रतिष्ठा को मलीन किया गया है। क्योंकि यह फिल्म विकृत तथ्यों पर आधारित है। सरला सरावगी इस फिल्म का निर्माण कर रही है। न्यायमूर्ति के सामने दावा किया गया है कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ कि राजपूत की हत्या हुई थी या उन्होंने आत्महत्या की थी। इस विषय पर अभी भी जांच जारी है। इसलिए फिल्म के प्रदर्शन व विज्ञापन पर रोक लगाई जाए।
इन दलीलों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने दावाकर्ता (मिश्रा) से पूछा कि आपने किस आधार पर इस संबंध में दावा दायर किया है। इस पर मिश्रा की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता चेतन अग्रवाल ने कहा कि उनके मुवक्किल पेशे से कारोबारी व सामाजिक कार्यकर्ता हैं। इसके साथ ही वे फिल्म अभिनेता राजपूत के प्रशंसक हैं। फिल्म का शीर्षक अपने आप फिल्म की कहानी की बयां करता है।
इस पर फिल्म निर्माता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अशोक सरावगी ने कहा कि फिल्म का शीर्षक कुछ भी हो सकता है। फिल्म निर्माता ने सुशांत की मौत को लेकर पुलिस की जांच से जुड़े किसी पहलू को नहीं छुआ है। उन्होंने कहा कि निचली अदालत ने भी कहा है कि जब तक फिल्म प्रदर्शित नहीं हो जाती है तब तक कैसे कहा जा सकता है फिल्म में विकृत तथ्य शामिल हैं। न्यायमूर्ति चव्हाण ने मार्च के पहले सप्ताह में इस मामले की सुनवाई रखी है।
Created On :   17 Feb 2021 8:41 PM IST