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विकास शहर का, टोल वसूली ग्रामीणों से

डिजिटल डेस्क, हिंगना. नागपुर शहर एकात्मिक रस्ते विकास योजना अंतर्गत महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल मर्या. द्वारा नागपुर शहर में बनाओ और हस्तांतरित करो (बीओटी) के आधार पर 350 करोड़ के विविध विकास कार्य किए गए। साथ ही नागपुर शहर की सीमा के बाहर वर्ष 2003 में 5 टोल प्लाजा बनाए गए। जिसमे काटोल नाका, वाड़ी नाका, दाभा नाका, वानाडोंगरी नाका और दिघोरी नाके का समावेश है। यह नाके नागपुर शहर और ग्रामीण क्षेत्रों की सीमा पर हैं। इन नाकों पर अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों के किसान और नागरिकों को शहर में समान लाने के लिए पहले टोल टैक्स देना पड़ता है। यह हाल विगत 19 साल से है, लेकिन इसके खिलाफ कोई भी नेता आवाज उठाने के कोशिश नहीं करता, यह समझ से परे है।
26 साल के लिए लगाए बनाए गए प्लाजा
नागपुर शहर का विकास करने के लिए वर्ष 1998 के करीब एक योजन बनाई गई थी। योजना में सड़क, ब्रिज, रेलवे उड़ानपुल, रेलवे अंडरब्रिज आदि विविध विकास कार्यों का समावेश था। नागपुर शहर एकात्मिक रस्ते विकास योजना अंतर्गत महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल मर्या., नागपुर सुधार प्रन्यास, नागपुर महानगर पालिका, सार्वजनिक निर्माण विभाग आदि द्वारा विकास कार्य किए गए। इस योजना के तहत 350 करोड़ रुपए में विकास करना था, लेकिन इस योजना में विविध विकास कार्यों पर अब तक 517 करोड़ 36 लाख रुपए खर्च किए जाने की जानकारी मिली है। 350 करोड़ रुपए की वसूली के लिए वर्ष 2003 में नागपुर शहर सीमा पर 5 टोल प्लाजा 26 वर्ष के लिए बनाए गए थे। इन सभी टोल प्लाजा से 19 साल में करोड़ों की वसूली की गई है।
टोल चुकाकर शहर में लाते हैं फसल-सब्जियां
नागपुर शहर एकात्मिक रस्ते विकास योजना अंतर्गत 350 करोड़ रुपए की निधि से नागपुर शहर के भीतर विविध विकास कार्य किए गए थे। योजना अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में विकास नहीं किया गया है। शहर में विकास का ग्रामीणों से टोल वसूला जाता है। शहर के लोगों को न के बराबर ग्रामीण में आना पड़ता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के किसान और नागरिकों को शहर में खेत की फसल, सब्जियां आदि लेकर रोज आना पड़ता है।
रामझूला निर्माण के पैसे की वसूली भी टोल से
नागपुर शहर में रेलवे स्टेशन के समीप बनाया गया रामझूला भी एमएसआरडीसी द्वारा नागपुर शहर एकात्मिक रस्ते विकास योजना के तहत बनाया गया है। इस रामझूले के निर्माण कार्य की वसूली भी इन 5 टोल प्लाजा से की जाती है।
टोल बंद कर ग्रामीणों को दंे न्याय
नागपुर शहर और ग्रामीण एक की जिले में है, लेकिन ग्रामीणों को शहर में जाने के लिए टोल देना पड़ता है। यह कहां का न्याय है। नागपुर जिले को शहर और जिला ग्रामीण ऐसे दो भागों में बांटा गया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में टोल प्लाजा ग्रामीणों से टोल वसूला जाता है। यह सरासर ग्रामीणों के साथ अन्याय है। इस अन्याय को खत्म कर तत्काल प्रभाव से शहर सीमा के बाहर के सभी 5 टोल प्लाजा बंद करने की मांग ग्रामीण क्षेत्र के किसान और नागरिकों ने की है।
करोड़ों के विकास पर टोल नहीं
नागपुर जिले में विगत 7 सालों से करोड़ों-अरबों रुपए की निधि से विविध विकास कार्य किए जा रहे हैं, लेकिन इन पर टोल लगाकर टैक्स नहीं वसूला नहीं जा रहा, लेकिन एमएसआरडीसी द्वारा नागपुर शहर एकात्मिक रस्ते विकास योजना अंतर्गत वर्ष 2003 के पूर्व और बाद में किए गए 350 करोड़ के विकास कार्य पर शहर सीमा के बाहर टोल लगाया जा रहा है। यह ग्रामीणों पर सरासर अत्याचार है।
40 करोड़ का टेंडर 35 करोड़ में
महाराष्ट्र राज्य रास्ते विकास महामंडल मर्या. मुंबई कार्यालय द्वारा नागपुर शहर एकात्मिक रस्ते विकास योजना के तहत शहर सीमा के बाहर चल रहे 5 टोल प्लाजा पर टोल वसूली के लिए वर्ष 2021 में 40 करोड़ की निविदा निकाली गई थी। यह निविदा पहली थी। इसमें 40 करोड़ के अधिक का किसी ने भी टेंडर नहीं भरा। सिर्फ दो कंपनियों ने टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लिया था। जिसमें खलतकर कंस्ट्रक्शन ने 35 करोड़ 19 लाख 51 हजार 600 रुपए भरे थे। फास्टगो इन्फ्रा प्रा. लि. ने 33 करोड़ 94 लाख का टेंडर भरा था। नियम के अनुसार पहली टेंडर प्रक्रिया में 3 से अधीक कंपनियों ने हिस्सा लेना चाहिए और जितने का टेंडर हैं उससे ज्यादा में टेंडर होना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर दोबारा टेंडर किया जाता हैं, लेकिन एमएसआरडीसी मुंबई कार्यालय के अधिकारियों ने ठेकेदार से मिलीभगत कर 40 करोड़ का टेंडर फस्ट हायस्ट कंपनी से 1 हजार रुपए बढ़ाकर फास्टगो इन्फ्रा प्रा. लि. कंपनी को सिर्फ 35 करोड़ 19 लाख 52 हजार 600 रुपए में 156 हफ्ते के लिए दे दिया। इस मामले की जांच कर दोषी अधिकारियो पर कारवाई करने की मांग नागरिकों द्वारा की गई है।
जांच की जाएगी
संजय यादव, संयुक्त प्रबंध निदेशक, एमएसआरडीसी मुंबई के मुताबिक मामले की जांच कर कारवाई की जाएगी।
Created On :   30 Dec 2022 8:01 PM IST