सुपर स्पेशलिटी और मेडिकल का विकासकार्य अटका

Development work of super specialty and medical stuck
सुपर स्पेशलिटी और मेडिकल का विकासकार्य अटका
नागपुर सुपर स्पेशलिटी और मेडिकल का विकासकार्य अटका

डिजिटल डेस्क, नागपुर. पिछले 10 साल से सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के श्रेणीवर्धन का मामला अधर में लटका है। सरकार इसके प्रति उदासीन है। करीब एक दशक पहले प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के लिए सुपर को निधि दी गई थी, जिससे सुपर के ए-विंग का निर्माण करने के लिए करना था, लेकिन करीब डेढ़ करोड़ रुपए की निधि नागपुर में एम्स की घोषणा के बाद मेडिकल में एम्स के लिए अस्थायी व्यवस्था करने के लिए यह निधि लगाई गई। इसलिए सुपर के ए-विंग का निर्माण शुरू नहीं किया जा सका।

विभाग ने दिखाई उदासीनता
मेडिकल में 10 साल पहले प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना से 150 करेाड़ की निधि मेडिकल व सुपर स्पेशलिटी के श्रेणीवर्धन व विस्तार के लिए मंजूर की गई थे। इस निधि में से 6 करोड़ 72 लाख रुपए ए-विंग के निर्माण के लिए खर्च करना था। शुरुआत के 4 साल तक सार्वजनिक निर्माण विभाग ने इसके प्रति उदासीनता दिखाई, इसलिए निर्माण नहीं हो पाया। जून 2016 में सुपर के ए-विंग के निर्माण को प्रशासकीय मंजूरी मिली थी। खर्च बढ़ने से 16 करोड़ की मंजूरी मिली थी। इसी योजना अंतर्गत ट्रामा केयर यूनिट तैयार की गई। शुरुआत में 11 करोड़ 60 लाख रुपए मंजूर हुए, लेकिन इस पर 25 करोड़ रुपए खर्च हुआ। इस दौरान मेडिकल में एम्स की कक्षाएं शुरू हुईं। एम्स के संचालक कार्यालय के लिए कक्षाएं, प्रयोगशाला समेत अन्य संसाधन तैयार किए गए। इस पर मेडिकल ने 3 करोड़ रुपए खर्च किए। इस चक्कर में निधि खर्च होने से सुपर का ए-विंग का निर्माण नहीं हुआ और सुपर का श्रेणीवर्धन का मामला अटक गया है।

कोरोनाकाल के बाद से ठप है काम

मेडिकल में छात्रावास की समस्या फिर एक बार सामने आई है। यहां के छात्रावास निर्माण का काम रुक गया है। दूसरी तरफ निवासी डॉक्टरों की नई बैच आने लगी है। मेडिकल व सुपर मिलाकर कुल 572 निवासी डॉक्टर हैं। उनके लिए मार्ड समेत क्रमांक 6 का छात्रावास और सुपर में 27 कमरे का छात्रावास है। एक कमरे में 3-3 डॉक्टरों को रहना पड़ता है। मार्ड का छात्रावास जीर्ण हो चुका है। पूर्व मंत्री डॉ. जितेंद्र आह्वाड जब नागपुर आए थे, उस समय उन्होंने निवासी डॉक्टरों से चर्चा की थी। समस्या जानने के बाद तत्कालीन अधिष्ठाता को नए छात्रावास का प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा था। 4 मंजिला इमारत में 250 कमरों का प्रस्ताव तैयार किया गया था। इसके लिए 28 करोड़ रुपए की निधि मंजूर हुई थी। मेडिकल परिसर के पश्चिम दिशा में जगह निश्चित की गई। निधि का पहला हफ्ता मिलने के बाद निर्माण शुरू हुआ। मार्च 2020 तक इमारत को तैयार कर अधिग्रहण करना था, लेकिन कोरोनाकाल आने से निर्माणकार्य रुक गया था। तबसे निर्माणकार्य रुका हुआ है। निर्माण पर 7 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। मार्च 2022 तक इमारत तैयार होने का दावा किया जा रहा था, लेकिन यह नहीं हो पाया है। अब यह इमारत कब पूरी होगी इस बारे में कोई कुछ बताने को तैयार नहीं है, वहीं 200 निवासी डॉक्टरों की नई टीम आ रही है। अब उनके रहने की समस्या पैदा हो चुकी है।

Created On :   30 Oct 2022 8:15 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story