जान से खिलवाड़, नेफ्रोलॉजिस्ट के बिना चल रहा डायलिसिस सेंटर

Dialysis Center is operated without Nephrologist in Nagpur
जान से खिलवाड़, नेफ्रोलॉजिस्ट के बिना चल रहा डायलिसिस सेंटर
जान से खिलवाड़, नेफ्रोलॉजिस्ट के बिना चल रहा डायलिसिस सेंटर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मेडिकल हब के नाम से प्रख्यात नागपुर में मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है। इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेयाे) में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) पर जर्मन रीनल केयर प्राइवेट लिमिटेड को डायलिसिस सेंटर संचालित करने को दिया गया है। हैरानी की बात तो यह है कि मानकों के अनुसार एक मरीज का डायलिसिस 4 घंटे करना चाहिए, लेकिन मेयो स्थित डायलिसिस सेंटर पर मरीज का डायलिसिस 2 से 3 घंटे ही किया जा रहा है। यह मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ है। यह शिकायत वहां डायलिसिस करवाने वाले मरीजों ने ही की है। 

ट्रेनी टेक्नीशियन के भरोसे डायलिसिस

यहां ट्रेनी टेक्नीशियन से डायलिसिस कराया जा रहा है। उससे भी हैरानी की बात तो यह है कि डायलिसिस सेंटर से नेफ्रोलॉजिस्ट के इस्तीफा देने के बाद ये बिना अधिकृत नेफ्रोलॉजिस्ट के चल रहा है, क्याेंकि किसी भी नेफ्रोलॉजिस्ट को नियुक्त करने से पहले महात्मा ज्योतिबा फुले जीवनदायी आरोग्य योजना सोसायटी की अनुमति लेनी होती है, जो वर्तमान में डायलिसिस सेंटर के पास नहीं है।


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27 सितंबर से नहीं नेफ्रोलॉजिस्ट

मेयो में नियुक्त अधिकृत नेफ्रोलॉजिस्ट ने 27 अगस्त को इस्तीफा दे दिया था, मरीजों की समस्या को ध्यान में रखकर उन्होंने एक माह की अवधि बढ़ा दी। 27 सितंबर को अपनी सेवाएं समाप्त कर दीं। इसके बाद से नेफ्रोलॉजिस्ट की आधिकारिक नियुक्त नहीं की गई है। 5 अक्टूबर को दोबारा से नेफ्रोलॉजिस्ट की नियुक्ति के लिए महात्मा ज्योतिबा फुले जीवनदायी आरोग्य सोसायटी को आवेदन दिया गया, जो अभी तक स्वीकार नहीं किया गया।

हुआ बवाल तो बुलाई बैठक

दो दिन पूर्व मेयो डीन ने डायलिसिस सेंटर पर हुए बवाल को लेकर बैठक बुलाई। इसमें कंपनी मैनेजर आशीष अतकरी ने जवाब दिया कि ऐसा करने वाले दोनों टेक्नीशियन को निकाल दिया गया है, इससे अब ट्रेनी टेक्नीशियन के भरोसे काम चल रहा है। बाहर से आने वाले डॉक्टर कुछ समय आकर चले जाते हैं, जो मरीजों की जान के साथ सीधा खिलवाड़ है। जर्मन प्राइवेट केयर प्रा.लि.मैनेजर अाशीष अतकरी का कहना है कि  टेक्नीशियन द्वारा डायलिसिस का ‘साइकिल’ पूरा नहीं किया जा रहा था, इस वजह से दो टेक्नीशियन को निकाला गया है। यह बात सही है।

मरीजों के सामने समस्याएं

निश्चित समय तक नहीं होता डायलिसिस
अधिकृत नेफ्रोलॉजिस्ट नियुक्त नहीं है
नेफ्रोलॉजिस्ट के फर्जी हस्ताक्षर की शिकायत
मेयो के मरीजों का देर से लगता है नंबर, जबकि बाहरी मरीजों का जल्दी
डायरेक्ट मरीजों को किया जाता है भर्ती जो अनुबंध के खिलाफ है
डायलिसिस में उपयोग किए जाने वाले पानी का RO प्लांट अक्सर खराब रहता है

Created On :   27 Oct 2017 12:50 PM IST

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