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सीएम बंगले के सामने बर्खास्त मनपा कर्मचारियों ने की आत्मदाह की कोशिश, देखें VIDEO

डिजिटल डेस्क, नागपुर। किसान धर्मा पाटील और हर्षल रावते द्वारा मंत्रालय में आत्महत्या का प्रकरण अभी शांत भी नहीं हुआ कि नागपुर महानगरपालिका से बर्खास्त 17 में 7 कर्मचारियों ने रविवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के धरमपेठ स्थित निवास स्थान के सामने आत्मदाह की कोशिश की। जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। रविवार सुबह से ही पुलिस ने सीएम बंगले के सामने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर रखी थी। जैसे ही प्रदर्शनकारियों ने वहां आत्मदाह की कोशिश की, पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। मामले में पुलिस ने 3 लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
प्रशासन में हड़कंप
पीड़ित अशोक देवगडे, मो. युसूफ, मो. याकूब, सुरेश बर्डे, विनायक पेंडके, गणपत बाराहाते और दीपक पारकोडे ने कहा कि बार-बार मांग करने के बावजूद कोई निर्णय नहीं हुआ था। नागपुर अधिवेशन में मुख्यमंत्री फडणवीस से भी इसे मुद्दे पर मुलाकात की, फिर भी कोई समाधान नहीं निकला। कर्मचारियों द्वारा मुख्यमंत्री के निवास के सामने आत्मदाह की चेतावनी से पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया था। मंत्रालय में हुई घटनाओं को देखते हुए मुख्यमंत्री निवास के आस-पास चाक-चौबंद व्यवस्था की गई थी।
क्या है मामला ?
मामला 1993 का है। मनपा प्रशासन ने विविध संवर्ग पदों के लिए 256 लोगों के साक्षात्कार लेकर उन्हें सेवा में लिया था। इसके विरोध में भालचंद्र जोशी नामक व्यक्ति कोर्ट में पहुंचा तो कोर्ट से भर्ती पर स्थगन मिला। उस समय किशोर डोरले महापौर थे। 1997 में देवेंद्र फडणवीस महापौर बने। उस समय भर्ती से रोक हटी और सभी 256 लोगों को आदेश जारी हुए। सभी ने ज्वाइनिंग की। यह आदेश हाईकोर्ट के आदेश के अधीन रहकर दिया गया था। 4.5 साल इन सभी ने मनपा में अपनी सेवाएं दी।
4 फरवरी 2002 को तत्कालीन मनपा आयुक्त टी. चंद्रशेखर ने 106 कर्मचारियों को बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया। मामला हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट के आदेश पर तत्कालीन नासुप्र सभापति मनुकुमार श्रीवास्तव ने सभी 106 कर्मचारियों की एक घंटे में सुनवाई पूरी की, लेकिन उन्होंने भी टी. चंद्रशेखर के अनुकूल ही अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी। इसके बाद टी. चंद्रशेखर ने फिर वैसे ही आदेश दिया।
इसके खिलाफ कर्मचारी तत्कालीन मुख्यमंत्री विलास देशमुख के पास पहुंचे। तत्कालीन सचिव टी. बेंजामिन को यह मामला सौंपा गया। बेंजामिन ने टी. चंद्रशेखर का आदेश रद्द किया। 2011 में तत्कालीन सत्तापक्ष ने प्रवीण दटके की अध्यक्षता में एक समिति बनाई। समिति ने 106 कर्मचारियों को वापस लेने की रिपोर्ट दी।
इसके बाद तत्कालीन आयुक्त संजीव जैस्वाल ने यह रिपोर्ट लागू करने की बजाए सरकार को भेज दी। सरकार के आदेश पर 106 में से 89 कर्मचारियों को आदेश दिया गया। 17 कर्मचारियों को इसलिए आदेश नहीं दिया गया, क्योंकि उन्होंने कोर्ट में केस डाला था। इसके बाद इन्होंने भी अपना केस वापस लिया। कोई निर्णय नहीं लिया गया। मामला फिर हाईकोर्ट पहुंचा। जज वासंती नाईक ने आदेश कर 3 महीने में इस पर निर्णय लेने को कहा था, लेकिन आज तक इस पर कोई निर्णय सरकार और मनपा प्रशासन ने नहीं लिया है। इससे परेशान कर्मचारियों ने अब आत्मदाह का मार्ग अपना लिया।

Created On :   11 Feb 2018 5:45 PM IST