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बोरवेल लगाने के मांग पर जिप ने खड़े किए हाथ,कटौती के लिए भेजा लेटर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गर्मी के मौसम में जलसंकट से निपटने जिलाधिकारी ने ग्रामीण क्षेत्र में 1600 बोरवेल मंजूर किए हैं। लेकिन जिला परिषद प्रशासन लक्ष्य को पूरा करने से घबरा गया और हाथ खड़े करते हुए जिलाधिकारी को 30 प्रतिशत बोरवेल कटौती का लेटर भेज दिया है। ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के कार्यकारी अभियंता ने सीईओ को पत्र लिखकर लक्ष्य पूरा करने में असमर्थता जताई और सीईओ ने जिलाधिकारी को बाेरवेल कटौती का पत्र भेज दिया।
जलापूर्ति समिति की सभापति को नहीं इसकी जानकारी
जिप अध्यक्ष निशा सावरकर को इसकी खबर तक नहीं चली, जबकि वे खुद जलापूर्ति समिति की सभापति भी हैं। जिलाधिकारी को भेजे पत्र का जब खुलासा हुआ, तो खलबली मच गई। अध्यक्ष ने कहा कि जिले में जलसंकट की स्थिति उत्पन्न होने पर अधिकारी जिम्मेदार होंगे। वहीं विपक्ष ने अध्यक्ष के सिर पर अकार्यक्षमता का ठीकरा फोड़ा।जिप में नेता प्रतिपक्ष मनोहर कुंभारे व सदस्य शिवकुमार यादव को जब इस बात का पता चला तो मंगलवार को वे जिला परिषद पहुंचे। अध्यक्ष के कक्ष में कार्यकारी अभियंता को बुलाकर पूछा तो टालमटोल जवाब मिला। इतना बड़ा निर्णय होने की अध्यक्ष को भी खबर नहीं, यह जानकर उन्हें भी आश्चर्य हुआ। इस निर्णय से अधिकारियों की मनमानी खुलकर सामने आ गई।
पालकमंत्री के सामने भरी थी हामी
पालकमंत्री ने बैठक में कहा था कि जिला परिषद इतने बड़े पैमाने पर बोरवेल के करने में समर्थ नहीं होगी, तो 50 फीसदी कार्य महाजीवन प्राधिकरण को दिए जा सकते हैं। उस समय जलापूर्ति विभाग के कार्यकारी अभियंता ने हाथ खड़े कर काम करने की हामी भरी थी। अब कार्यकारी अभियंता का कहना है कि डिप्टी इंजीनियरों के साथ हुई बैठक में सीईओ को यह बताया था कि बोरवेल के कार्य तभी पूर्ण किए जा सकेंगे, जब केसिंग पाइप व अन्य सामग्री की 50 फीसदी खरीदी एक साथ की जाएगी। सीईओ ने एक साथ खरीदी करने से इनकार कर ग्राम अनुसार खरीदी को मंजूरी दी। तब कितने कार्य किए जाने सकते हैं, यह पूछा जाने पर 30 प्रतिशत कटौती करने का पत्र सीईओ को दे दिया।
अधिकारी तकनीकी पेंच में फंसाकर जलसंकट निवारण कार्यों को लटकाना चाहते हैं। कलेक्टर को 30 फीसदी कटौती करने का पत्र भेजकर अध्यक्ष को इसकी जानकारी तक नहीं दी गई, यह अध्यक्ष का अपमान है। जून महीने तक मंजूर बोरवेल लगाने हैं, अब तक केवल 54 लगाए गए हैं। जिप प्रशासन की लापरवाही से ग्रामीण जनता को जलसंकट से जूझना पड़ेगा, यह तय है। शिवकुमार यादव, सदस्य, जिप
Created On :   11 April 2018 3:55 PM IST