नाबालिक लड़कों के साथ आपत्तिजनक कृत्य करने वाले के साथ सहानुभूति नहीं

Do not sympathize with anyone who commits derogatory acts with minor boys
नाबालिक लड़कों के साथ आपत्तिजनक कृत्य करने वाले के साथ सहानुभूति नहीं
हाईकोर्ट नाबालिक लड़कों के साथ आपत्तिजनक कृत्य करने वाले के साथ सहानुभूति नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने नौ व 11 साल के लड़कों के साथ आपत्तिजनक कृत्य करने के आरोपों का सामना कर रहे 21 वर्षीय आरोपी के प्रति सहानुभूति दिखाने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि पीड़ित बच्चों के मुताबिक आरोपी ने उनके साथ तीन-चार बार अप्राकृतिक संबध बनाए। मामले से जुड़े आरोपपत्र में शामिल तथ्य भी आरोपी के खिलाफ हैं। लिहाजा आरोपी के प्रति सहानुभूति नहीं दिखाई जा सकती है। इस तरह से कोर्ट ने साल 2019 से जेल में बंद आरोपी को जमानत देने से मना कर दिया है। 
आरोपी के खिलाफ पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 377(अप्राकृतिक संबंध), पाक्सो कानून की धारा 4, 6, 8 व 12 के तहत मामला दर्ज किया है। इस मामले में पुलिस ने आरोपी को मार्च 2019 में गिरफ्तार किया था। इसके साथ ही पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आरोपपत्र दायर कर दिया है। मुंबई की दिंडोशी कोर्ट ने दिसंबर 2020 में आरोपी के जमानत आवेदन को खारिज कर दिया था। लिहाजा आरोपी ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए आवेदन दायर किया था। 

न्यायमूर्ति भारती डागरे के सामने आरोपी के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान आरोपी की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि आरोपी की उम्र 21 साल है। वह काफी समय से जेल में है। मामले से जुड़े मेडिकल सबूत भी अभियोजन पक्ष की ओर से आरोपी पर लगे आरोपों की पुष्टि नहीं करते हैं। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आरोपपत्र दायर कर दिया है। इसलिए आरोपी को जमानत प्रदान की जाए। किंतु न्यायमूर्ति ने कहा कि पीड़ित बच्चों के बयान आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 377(अप्रकृतिक संबंध) के तहत अपराध का खुलासा करते हैं। आरोपी पर लगे आरोप मुकदमे की सुनवाई के दौरान परखे जाएंगे। प्रथम दृष्टया आरोपी के खिलाफ पुलिस ने जो आरोपपत्र दायर किया है, उसमें लिखी गई बातें आरोपी के खिलाफ हैं। इसलिए आरोपी के प्रति सहानूभूति नहीं दिखाई जा सकती है। न्यायमूर्ति ने आरोपी के जमानत आवेदन को खारिज कर दिया। 

 

Created On :   5 Aug 2022 3:51 PM GMT

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