अगर आप संपन्न हैं तो न लें आरक्षण का लाभ : सुशील कुमार शिंदे

Do not take advantage of reservation if you are Capable : Shinde
अगर आप संपन्न हैं तो न लें आरक्षण का लाभ : सुशील कुमार शिंदे
अगर आप संपन्न हैं तो न लें आरक्षण का लाभ : सुशील कुमार शिंदे


डिजिटल डेस्क, नागपुर | पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा है कि यदि संपन्न हैं तो आरक्षण का लाभ न लें। उन्होंने कहा कि आरक्षण से पिछड़े तबके के लोगों के विकास में योगदान मिला है। जो लोग आरक्षण का लाभ लेकर विकास की धारा से जुड़ गए उन्होंने आरक्षण का लाभ नहीं लेना चाहिए।    संपन्न होते हुए  भी आरक्षण का लाभ लेना एक तरह से लाचारी है। मारवाडी फाउंडेशन की ओर से आंबेडकरी विचारक प्रा. दत्ता भगत को भारतरत्न डा. बाबासाहब आंबेडकर स्मृति पुरस्कार प्रदान किया गया।  धनवटे सभागृह शंकरनगर में आयोजित कार्यक्रम में श्री शिंदे बोल रहे थे। कार्यक्रम में साहित्यकार डा. यशवंत मनोहर, पूर्व मंत्री सतीश चतुर्वेदी, मारवाडी फाउंडेशन के संस्थापक डा. गिरीश गांधी, कार्यकारी अध्यक्ष सत्यनारायण नुआल, सुधीर बाहेती प्रमुखता से उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत न्यायमूर्ति विकास सिरपुरकर ने की। श्री शिंदे ने भगत को पुरस्कार स्वरूप 5 लाख रुपए, स्मृतिचिह्न, शाल, श्रीफल प्रदान किया। उन्होंने कहा कि, भगत ने गांधी व आंबेडकर विचारधारा का सही मायने में परिचय करवाया है। जाति व्यवस्था को कमजोर करने की आवश्यकता है। किसी एक विचार का पक्षधर बनना ठीक नहीं है। समयानुकूल िवचारों में बदलाव लाना चाहिए।

मेरा परिवार अब नहीं ले रहा आरक्षण का लाभ

आरक्षण के मसले पर श्री शिंदे ने कहा कि, शालेय जीवन में मैंने आरक्षण का लाभ लिया। छात्रवृति ली, लेकिन संपन्न होने के बाद मैंने और मेरे बच्चों ने आरक्षण का लाभ नहीं लिया। उन्होंने यह भी कहा कि, जिन व्यवसायों से जाति की पहचान होती है उन व्यवसायों को भी बदलने की आवश्यकता है। 

देश में सांस्कृतिक आतंकवाद : प्रा. दत्ता भगत ने कहा कि, देश में सांस्कृतिक आतंकवाद पैदा हो रहा है। रानी पद्मावती िसनेमा व एक उपन्यास को लेकर उठे विरोध पर उन्होंने कहा कि, कलाकारों की जुबान बंद करने का प्रयास किया जा रहा है। एक ओर महात्मा गांधी का नाम लिया जाता है दूसरी आेर नाथूराम गोडसे का मंदिर बनाया जाता है। लोगों को सही मायने में गांधी समझ ही नहीं आया है। गांधी समाज सेवा को ही भगवान की सेवा मानते थे। 

Created On :   27 Nov 2017 1:31 PM IST

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