पीड़ित का इलाज करने से इंकार नहीं कर सकते डॉक्टर, जानिए -किस प्रदेश में सबसे ज्यादा एसिड अटेक

Doctor can not refuse to treat victim, know - In which state is most acid attack cases registered
पीड़ित का इलाज करने से इंकार नहीं कर सकते डॉक्टर, जानिए -किस प्रदेश में सबसे ज्यादा एसिड अटेक
पीड़ित का इलाज करने से इंकार नहीं कर सकते डॉक्टर, जानिए -किस प्रदेश में सबसे ज्यादा एसिड अटेक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोई भी डॉक्टर/चिकित्सक यौन उत्पीड़न और एसिड हमले के शिकार लोगों के इलाज से इनकार नहीं कर सकता। केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशानिर्देशों के आधार पर राज्य सरकार ने भी इससे जुड़ा परिपत्रक जारी किया है। नाबालिगों के यौन उत्पीड़न के पाक्सो कानून के तहत आने वाले मामलों में भी इलाज के लिए जारी दिशानिर्देशों का पालन करना होगा। निजी और सरकारी दोनों अस्पतालों को इन दिशानिर्देशों के पालन की हिदायत दी गई है।

राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग की ओर से गुरूवार को यह दिशानिर्देश जारी किए गए। इसके मुताबिक जांच के लिए सहमति प्राप्त करना, पूर्व इतिहास की जानकारी लेना, चिकित्सा जांच करना, न्यायिक प्रक्रिया में इस्तेमाल के लिए नमूने सुरक्षित रखना, पुलिस को मामले की जानकारी देना साथ ही चिकित्सकीय सुविधा के साथ मानसिक और सामाजिक सहायता भी उपलब्ध कराने के निर्देश डॉक्टरों को दिए गए हैं। यह स्पष्ट किया गया है कि नियमों के तहत जांच के लिए 12 साल या उससे ज्यादा उम्र के व्यक्ति से ही सहमति ली जा सकती है। यौन उत्पीड़न और एसिड हमले के पीड़ितों का बिना देरी जांच कर रिपोर्ट तैयार करना अनिवार्य है। 

तो दर्ज होगी एफआईआर
तुरंत और मुफ्त इलाज की सुविधा न देने पर संबंधित डॉक्टर/अस्पताल के खिलाफ आईपीसी की धारा 166 (ब) के तहत एफआईआर दर्ज की जाएगी। दोनों मामलों में सबूत के तौर पर नमूने 96 घंटे के भीतर लेने होंगे। साथ ही ऐसे मामलों में पीड़िता अगर निराश्रित, परित्यक्ता, नशे में धुत या विचलित अवस्था में हो तो समिति का कोई सदस्य पीड़ित की ओर से सहमति दे सकता है। इस तरह कि समिति में जिला शल्य चिकित्सक, चिकित्सा अधीक्षक, स्त्रीरोग/बालरोग  विशेषज्ञ, कैजुएल्टी विभाग का कोई चिकित्सा अधिकारी शामिल होगा। इलाज कर रहे डॉक्टरों के लिए संपूर्ण जांच और उपचार की जानकारी लिखनी होगी। जिला शल्य चिकित्सकों, चिकित्सा अधीक्षक, चिकित्सा अधिकारी (आरोग्य) के लिए दिशानिर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा।  

बंगाल और उप्र में ज्यादा होते हैं महिलाओं पर तेजाब के हमले  
महिलाओं पर तेजाब डालने की घटनाएं सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल और उत्तरप्रदेश में होती है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक वर्ष 2016 में देश में महिलाओं पर तेजाब हमले के कुल 206 मामले सामने आए थे, जिसमें 54 ऐसी घटनाओं के साथ पश्चिम बंगाल शीर्ष पर रहा। इसी प्रकार उत्तरप्रदेश में महिलाओं पर तेजाब फेंकने के 51 मामले सामने आए हैं। 

एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2015 के मुकाबले वर्ष 2016 में देश में ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ी है। वर्ष 2015 में देश में महिलाओं पर तेजाब फेंकने के कुल 170 मामले सामने आए थे जो वर्ष 2016 में बढ़कर 206 हो गए। वर्ष 2006 में ओडिशा में 12, हरियाणा में 11 और आन्ध्रप्रदेश में तेजाब हमले के 9 मामले सामने आए हैं। 

महाराष्ट्र में तेजाब डालने के महज दो मामले 
महाराष्ट्र में महिलाओं पर तेजाब के हमले की घटनाएं तुलनात्मक रूप से बहुत कम है। वर्ष 2016 में प्रदेश में इस तरह की सिर्फ दो घटनाएं सामने आई। इसी वर्ष मध्यप्रदेश में ऐसे चार मामले तो केरल में नौ मामले सामने आए हैं। वर्ष 2015 में महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में महिलाओं पर तेजाब फेंकने की 6-6 घटनाएं हुई थी तो उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल क्रमश: 61 व 26 घटनाओं के साथ देश में पहले व दूसरे क्रमांक पर रहे थे। 

कानून व्यवस्था राज्य का विषय : अहीर 
केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने बताया कि चूंकि पुलिस और लोक व्यवस्था राज्य के विषय हैं, लिहाजा कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने, नागरिकों की जान और माल की सुरक्षा की जिम्मेवारियां संबंधित राज्य सरकारों की होती है। राज्य सरकारें विधि के मौजूदा प्रावधानों के तहत ऐसे अपराधों से निपटने में सक्षम हैं। उन्होने बताया कि हालांकि केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने संबंधित राज्य व संघ राज्य क्षेत्रों में तेजाब की बिक्री को नियंत्रित करने के लिए आदर्श विष नियम अधिसूचित करने के संबंध में 30 मार्च 2013 को परिचालित किया है। तेजाब हमले के मामलों के निपटान में तेजी लाने, पीड़ितों को उपचार और मुआवजा प्रदान करने के संबंध में भी जरूरी दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। 

नाबालिक से दुष्कर्म के आरोपी को 10 साल की सजा 
वहीं ठाणे कि एक अदालत ने एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म के मामले में 26 साल के एक व्यक्ति को 10 साल की सजा सुनायी है। बच्चों को यौन अपराधों से संरक्षण कानून (पोक्सो) अदालत के न्यायाधीश पी पी जाधव ने अभियुक्त मुहम्मद मंसूर आलम अंसारी पर 28 हजार रूपए का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने अपने फैसले में आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 376 (बलात्कार) और 506 (दो) (आपराधिक भयादोहन) तथा पोक्सो कानून की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया।

अभियोजन के अनुसार 14 साल की पीड़ित की मां अपने घर में ढाबा चलाती थी। जून से दिसंबर 2014 के बीच उसकी मां बीमार थी और पीड़ित ही ढाबा चला रही थी। लड़की ने 10 फरवरी 2015 को पेट में दर्द की शिकायत की और उसे अस्पताल ले जाया गया तो डाक्टरों ने बताया कि वह सात महीने की गर्भवती है। इसके बाद लड़की ने अपने माता-पिता को बताया कि आरोपी खाना खाने के लिए घर में आता था और उसी दौरान उसने बार बार उसके साथ दुष्कर्म किया। आरोपी ने इसके बारे में किसी को जानकारी देने पर गंभीर परिणाम होने की धमकी दी। बाद में लड़की ने एक बच्चे को जन्म दिया।  

Created On :   10 Jan 2019 4:55 PM GMT

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