श्वान की वफादारी... पैरों से दिव्यांग गणेश की बैसाखी बना बिट्टू

- अपने दिव्यांग मालिक को ट्राइसिकल में बैठाकर घुमाता है श्वान श्वान की वफादारी... पैरों से दिव्यांग गणेश की बैसाखी बना बिट्टू

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। बिट्टू चलो... बिट्टू रुको... बैठ जाओ...। बिट्टू इंसान नहीं बल्कि श्वान है, जो इंसान की भाषा और इंसानियत दोनों समझता है। वह अपने दोनों पैरों से दिव्यांग मालिक गणेश चौहान का पूरा ध्यान रखता है। श्वान बिट्टू अपने दिव्यांग मालिक की बैसाखी बना हुआ है। उसे ट्राइसिकल में बैठाकर घुमाता है। वह चढ़ाई वाले स्थानों में भी हिम्मत नहीं हारता, बल्कि पूरा दम लगाकर ट्राइसिकल को गंतव्य तक पहुंचाता है। दिव्यांग की हर बात वह मानता है। देखने वाले श्वान की वफादारी की मिसाल पेश करते हैं। वहीं अपनों की अनदेखी के शिकार लोग दिव्यांग गणेश और श्वान बिट्टू को देख कह उठते हैं कि ये रिश्ता क्या कहलाता है...।
जब स्ट्रीट डॉग्स से भिड़ गया बिट्टू:
एक वाकया तो ऐसा भी दिखाई दिया जब शहर की सडक़ पर ट्राइसिकल से अपने दिव्यांग मालिक के साथ गुजरते वक्त स्ट्रीट डॉग्स के झुंड ने उन्हें  घेर लिया। ट्राइसिकल को खींच रहे श्वान बिट्टू ने मालिक के प्रति वफादारी दिखाते हुए स्ट्रीट डॉग्स से मुकाबला किया और खदेड़ा।
एक बार खाना दिया तब से गणेश का ही हो गया बिट्टू:
दिव्यांग गणेश चौहान के मुताबिक साल भर पहले वह स्टेशन परिसर में भोजन पका रहा था। उसी दौरान उसने श्वान को भी खाना दे दिया। उस समय श्वान छोटा था, लेकिन तब से उसने साथ नहीं छोड़ा। वह 24 घंटे उसके साथ रहता है और उसका पूरा ध्यान रखता है। बिट्टू उसकी ट्राइसिकल शहर में ही नहीं खींचता बल्कि जामसांवली हनुमान मंदिर जाने आने में सिल्लेवानी घाटी में भी वह हिम्मत नहीं हारता।
पहले नौकरी अब भिक्षावृत्ति से हो रहा गुजारा:
खरगौन निवासी दिव्यांग गणेश चौहान ने बताया कि वह पोलियोग्रस्त है। वह यहां बस स्टैंड के पास सुलभ शौचालय में नौकरी करता था। 100 रुपए रोज उसे मिलते थे, बाद में रुपए घटाकर 50 रुपए कर दिए। तब से वह भिक्षावृत्ति कर गुजारा कर रहा है। दिनभर बस स्टैंड और रात रेडक्रॉस काम्प्लेक्स में गुजरती है।

Created On :   10 Feb 2022 10:39 PM IST

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