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मेडिकल में एक्सपायरी ट्रे में कोरोना की टेस्टिंग रिपोर्ट पर बना संशय, जिम्मेदार बोले- रिजल्ट सही
डिजिटल डेस्क जबलपुर । क्या मेडिकल कॉलेज की वायरोलॉजी लैब से मिल रही कोरोना जाँच रिपोर्ट सही है? लैब में जाँच के लिए मशीन के जो उपकरण उपयोग हो रहे हैं उनमें एक ऐसा है जो 13 महीने पहले तक ही उपयोग किया जा सकता था। अमरीकी कंपनी कोबास की इस 96 सैंपल टेस्ट वाली मशीन में जिस केमिकल कोटेड ट्रे में जाँच हो रही वह 31 मार्च 2019 के पहले तक ही उपयोग के लिए बेहतर थी। एक ओर ट्रे के विवरण में कंपनी ने इस तारीख को बैस्ट बिफोर मोनो के साथ उल्लेखित किया है। दूसरी ओर मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायलॉजी विभाग के जिम्मेदार इसे कोई गलत नहीं मान रहे हैं, उनका कहना है कि आईसीएमआर के स्थानीय विशेषज्ञों ने टेस्ट के लिए स्वीकृत किया है।
ऐसे करती है काम
कॉलेज के बायोकैमेस्ट्री विभाग को यह मशीन तीन साल पहले एक प्रोजेक्ट के तहत मिली थी, तभी से यह वहाँ बंद ही रखी रही। कोरोना संक्रमण आने पर उस मशीन के सॉफ्टवेयर अपडेट कर जाँच के लिए तैयार किया गया और मशीन के साथ ही आई ट्रे को इस्तेमाल किया जाने लगा। अब यदि अमरीका की कंपनी बैस्ट बिफोर लिखती है तो उसका कोई तो कारण होगा, भले ही ट्रे का उपयोग न किया गया हो। इस बात को जिम्मेदार अपने तरीकों से परिभाषित कर रहे हैं।
साधारण ट्रे, रिजल्ट सटीक
माइक्रोबायलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. रिति सेठ का कहना है कि यह ट्रे प्लास्टिक की है जिसकी कोई एक्सपायरी नहीं होती।
इनका कहना है
पैथोलॉजी विभाग में यदि किसी उपकरण या केमिकल में एक्सपायरी या बैस्ट बिफोर लिखा है तो उसी समय सीमा में ही उसका उपयोग किया जाना चाहिए। इसके बाद उसको उपयोग में लेने से उसकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है, जिससे जाँच के रिजल्ट की विश्वसनीयता अच्छी नहीं मानी जा सकती है।
-डॉ. संजय जैन, पैथोलॉजिस्ट आरएमओ एल्गिन अस्पताल
Created On :   11 Jun 2020 4:08 PM IST