डॉ. हर्ष वर्धन ने भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव- 2020 कर्टेन रेजर समारोह को डिजिटल तौर पर संबोधित किया

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डॉ. हर्ष वर्धन ने भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव- 2020 कर्टेन रेजर समारोह को डिजिटल तौर पर संबोधित किया

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकीऔर पृथ्‍वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने छठे भारत अंतर्राष्‍ट्रीय विज्ञान महोत्‍सव 2020 (आईआईएसएफ 2020) के हिस्‍से के रूप में भारतीय चिकित्‍सा अनुसंधान परिषद– राष्‍ट्रीय जनजातीय स्‍वास्‍थ्‍य अनुसंधान संस्‍थान, जबलपुर द्वारा वर्चुअल कर्टेन रेजर समारोह को डिजिटल तौर पर संबोधित किया। भारतीय चिकित्‍सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय, जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा विज्ञान भारती के सहयोग से वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा छठा आईआईएसएफ 2020 आयोजित किया जा रहा है। अपने संबोधन में डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘वर्ष 2015 में अपनी शुरुआत से लेकर आईआईएसएफ ने हमेशा लोगों के जीवन में सुधार के लिए ज्ञान की प्रगति और इसके इस्‍तेमाल को प्रदर्शित किया है। आईसीएमआर– एनआईआरटीएच, जबलपुर द्वारा आयोजित इस कर्टेन रेजर समारोह की अध्‍यक्षता करना सचमुच एक सौभाग्‍य की बात है।’’ इस बात पर अपनी खुशी व्‍यक्‍त करते हुए कि आईसीएमआर– एनआईआरटीएच, जबलपुर जनजातीय स्‍वास्‍थ्‍य से संबंधित स्‍वास्‍थ्‍य एवं सामाजिक मुद्दों पर जैव चिकित्‍सा अनुसंधान के प्रति पूर्णत: समर्पित एकमात्र संस्‍थान है, उन्‍होंने कहा कि जनजातियां भारतीय संस्‍कृति के एक अद्वितीय तथा रंगारंग हिस्‍से का प्रतिनिधित्‍व करती हैं। हमारी जनजातियां मतों, चलनों, मूल्‍योंएवं परंपराओं वाले एक रहन-सहन का अनुसरण करती हैं, जो प्रकृ‍ति में समाहित हैं। रहन-सहन की ऐसी प्रणाली जो प्रकृति का उल्‍लंघन नहीं करती, उनसे अनेक बीमारियों के लिए प्रतिरक्षण क्षमता बढ़ती है। हालांकि यह चिंता का विषय है कि हमारी जनजातीय जनसंख्‍या आज कुपोषण, वंशानुगत रोगों तथा संक्रामक रोगों से पीडि़त हैं। उन्‍होंने कहा, ‘‘अक्‍सर दुर्गम क्षेत्रों में बसी हमारी जनजातीय जनसंख्‍या जन स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के साथ-साथ विज्ञान एवं प्रौद्योगिक के क्षेत्र में हमारी महत्‍वपूर्ण प्रगतियों के लाभों तक पहुंचने में कठिनाइयों का सामना करती हैं।’’ डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि जनजातीय जनसंख्‍या का स्‍वास्‍थ्‍य और उसकी खुशहाली सरकार के लिए अत्‍यधिक महत्‍वपूर्ण है। उन्‍होंने कहा, ‘‘इसके लिए हमने अनेक कदम उठाए हैं। 2018 मेंस्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय एवं जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा संयुक्‍त रूप से गठित एक विशेषज्ञ समिति ने 10 प्रमुख समस्‍याओं को चिन्हित किया, जिनकी ओर तत्‍काल ध्‍यान देना जनजाति‍यों की खुशहाली के लिए जरूरी है और इस दिशा में कार्य शुरू किए गए।’’ डॉ. हर्षवर्धन ने जैव चिकित्‍सा अनुसंधान के क्षेत्र में असाधारण योगदान के लिए आईसीएमआर को बधाई दी। पहुंच से वंचित क्षेत्रों में स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को सशक्‍त बनाने के लिए स्‍वदेशी रणनीतियां विकसित करने के लिए आईसीएमआर– एनआईआरटीएच की सराहना करते हुए, उन्‍होंने कहा, ‘‘आईसीएमआर– एनआईआरटीएच ने मध्‍य प्रदेश के मांडला जनजातीय जिलेमें सहरिया जनजातियों के बीच तपेदिक के मामलों में कमी लाने तथा मलेरिया के मामलों में कमी लाने के उद्देश्‍य से सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के प्रारूप को सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया। इस प्रतिष्ठित संस्‍थान ने जनजातीय जनसंख्‍या के बीच फ्लोराइड, एनीमिया और हीमोग्‍लोबिनोपैथी जैसी बीमारियों के नियंत्रण के लिए रणनीतियां विकसित की हैं।’’उन्‍होंने कहा कि इन प्रयासों में प्राप्‍त अनुभव से न केवल अनुसंधानकर्ताओं एवं शिक्षाविदों को बल्कि हमारी जनसंख्‍या के हाशिए वाले हिस्‍से के स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार लाने हेतु नीति निर्माताओं को भी काफी मदद मिलेगी।

Created On :   11 Dec 2020 10:12 AM GMT

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