कोयले की कमी से फिर लोडशेडिंग का संकट

Due to lack of coal, the state is facing the power crisis again
कोयले की कमी से फिर लोडशेडिंग का संकट
कोयले की कमी से फिर लोडशेडिंग का संकट

डिजिटल डेस्क,नागपुर। कोयले की कमी से राज्य में फिर से बिजली संकट का खतरा मंडरा रहा है और ऐसे में सिर्फ लोडशेडिंग ही एक उपाय नजर आ रहा है। उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ माह से कोयले के संकट से गुजर रहे देश के अन्य भागों के बिजलीघरों को कुछ राहत मिली है, जबकि राज्य  के बिजलीघरों की हालत अभी भी खस्ता है। सरकारी हों या निजी सभी में कोयले के लिए त्राहिमाम् मचा हुआ है। हालात जल्दी नहीं सुधरे तो प्रदेश में फिर बिजली संकट शुरू हो जाएगा और लोडशेडिंग के अलावा चारा नहीं बचेगा। रबी की फसल खेतों में खड़ी है और पानी की सख्त जरुरत है। किसानों की आवश्यकता समझते हुए तथा कोयला मंत्रालय के दावों के चलते महावितरण ने दिसंबर के प्रथम सप्ताह से कृषिपंपों के लिए दिन में दस घंटे तथा रात में 12 घंटे पाली के अनुसार बिजली आपूर्ति प्रारंभ की है। प्रदेश में व्यस्ततम समय में बिजली की मांग करीब 18 हजार मेगावाट बनी हुई है, जबकि शेष समय में 15 से 16 हजार मेगावाट के बीच झूल रही है। महावितरण को अभी भी बाजार व लघु निविदा के अंतर्गत 700  तथा अन्य स्रोतों से 1100 मेगावाट बिजली लेनी पड़ रही है। ऐसे में यदि शीघ्र ही बिजलीघरों में  कोयला आपूर्ति नहीं सुधरी तो प्रदेश में सितंबर जैसा ही बिजली संकट फिर खड़ा हो सकता है। हालांकि कोई भी इस पर बोल कर कोयला मंत्रालय से बैर नहीं लेना चाहता है। 
यह है स्थिति 
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की साइट के अनुसार देश के कुल 113 बिजलीघरों में से मात्र 5 अत्यंत नाजुक स्थिति में हैं और 5 नाजुक स्थिति में। प्राधिकरण के अनुसार 4 दिन से कम कोयले का स्टाक अत्यंत नाजुक तथा 7 दिन से कम स्टाक वाले बिजलीघर को नाजुक स्थिति समझा जाता है। उल्टे यदि महाराष्ट्र की बात करें तो प्राधिकरण की साइट के ही अनुसार प्रदेश के 15 बिजलीघर जिनका लिंकेज है, उनमें से 9 बिजलीघर अत्यंत नाजुक या नाजुक स्थिति में हैं।                                     रोज कमाओ, रोज खाओ की स्थिति 
केंद्र सरकार के एनटीपीसी के मौदा बिजलीघर में 1 भी दिन का कोयला स्टाक में नहीं है। यहां रोज जो कोयला उतर रहा है, उसी से बिजली बन रही है। यदि रेलवे का रैक एक दिन नहीं पहुंचा तो बिजलीघर बंद। यहां से प्रतिदिन महाराष्ट्र को करीब 800 मेगावाट बिजली मिलती है। इसके बंद पड़ते ही महाराष्ट्र विद्युत संकट में फंस सकता है। इसके अलावा महाजेनको के परली बिजलीघर में मात्र 1 दिन का कोयला स्टाक में है। एनटीपीसी के ही सोलापुर बिजलीघर में 3 दिन का कोराडी में 5 दिन का, भुसावल में 6 दिन का कोयला उपलब्ध है। सरकारी कंपनियों की परेशानी यह है कि ये निजी कोयला आपूर्तिकर्ता से कोयला ले नहीं सकते और सरकारी कोयला कंपनियां कोयला आपूर्ति कर नहीं पा रहीं हैं। हालांकि निजी बिजलीघरों की स्थिति भी कोई बहुत अच्छी नहीं है। तिरोड़ा व बूटीबोरी में 3 दिन का, अमरावती में 4 दिन का, जीएमआर वरोरा में 5 दिन का ही कोयला उपलब्ध है। 

Created On :   28 Dec 2017 2:46 PM IST

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