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सरकार की नियोजन शून्यता के कारण गहराया राज्य में जलसंकट,कांग्रेस की सूखाक्षेत्र दौरा समिति का आरोप
डिजिटल डेस्क, नागपुर। सूखे को लेकर राज्य की स्थिति पर चिंता जताते हुए कांग्रेस ने सरकार को संवेदनहीन कहा है। कहा गया है कि टैंकरमुक्त राज्य का दावा पूरी तरह से निराधार निकला है। राज्य तो टैंकरयुक्त हो गया है। पानी के लिए परेशानी बढ़ते जा रही है। कहीं पानी के लिए कुंए में लोग मर रहे हैं तो कहीं जंगल में भागकर पालतू पशु मारे जा रहे हैं। सरकार की नियोजनशून्यता के कारण जलसंकट गहराया है। सूखा क्षेत्र के दौरे के लिए कांग्रेस ने विभाग स्तर पर समिति बनायी है। विदर्भ के दौरे के लिए विजय वडेट्टीवार के नेतृत्व में पश्चिम विदर्भ के 6 जिलों का दौरा किया गया है।
शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में दौरे की जानकारी देते हुए वडेट्टीवार ने कहा कि जल शिवार योजना का भी लाभ नहीं मिल पाया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के गृहजिले में भी यही स्थिति है। यहां पशुओं के लिए एक भी चारा छावनी नहीं बनी है। पत्रकार वार्ता में दौरा समिति के सदस्य भी उपस्थित थे। वडेट्टीवार ने बताया कि 13 मई से 16 मई तक पश्चिम विदर्भ के बुलढाणा, अकोला, वाशिम, यवतमाल, अमरावती व नागपुर जिले का दौरा किया गया है। वाशिम जिले में 46 करोड का जल नियोजन प्रस्ताव मंजूर करने के बाद भी निधि उपलब्ध नहीं की गई। नागपुर जिले में केवल पालकमंत्री के क्षेत्र को छोड़ अन्य सूखा प्रभावित तहसीलों में सूखे की उपाययोजना नहीं हो पायी है। 16 घंटे बिजली कटौती के कारण गांवों में जलापूर्ति नहीं हो पा रही है। पांढरीघोडसिंगी गांव में मुख्यमंत्री ने 3 तालाबों को मंजूरी दी लेकिन उन तालाबों के लिए निधि ही उपलब्ध नहीं करायी है।
सरकार से मांग
सूखा क्षेत्र के दौरे के लिए 4 समिति बनायी गई है। समिति की रिपोर्ट आने पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से कांग्रेस के प्रतिनिधि मिलेंगे। सरकार से जो प्रमुख मांगे की जा रही है उनमें सूखा क्षेत्र के किसानों को प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये देने की मांग प्रमुख है। लघु सिंचाई के लिए 90 प्रतिशत अनुदान आधार पर सहायता देने का निवेदन किया जा रहा है। फलबाग क्षेत्र में प्रति पेड़ एक हजार रुपये राहत देने की मांग की जा रही है।
यह शिकायत
गांवों में टैंकर नहीं पहुंच रहा है। टैंकर के लिए अन्य राज्यों के ठेकेदारों को ठेका दिया जा रहा है। रोजगार गारंटी योजना के तहत भी काम नहीं मिल रहा है। बुलढाणा जिले में सबसे अधिक जलसंकट है। प्लास्टिक ड्रम में पानी भरकर उसे ताला लगाकर रखा जाता है। यवतमाल जिले में कुएं को साफ करने के दौरान महिला व पुरुष की मृत्यु हो गई। यवतमाल जिले में ही एक समुदाय के लोगों ने चुनाव का बहिष्कार किया। 2300 में से केवल 173 मतदान किए गए। फिर भी वहां की समस्या नहीं सुनी गई। 400 जनसंख्या वाले उस गांव में लोगों को 8 दिन तक नहाए बिना रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। कर्जमाफी व फसलबीमा के लिए आनलाइन आवेदन की सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। विदर्भ में पशु संरक्षण के लिए चारा छावनियां नहीं बनायी गई है।
ये थे उपस्थित
पत्रकार वार्ता में पूर्व मंत्री वसंत पुरके, राजेंद्र मुलक, रणजीत कांबले, विधायक वीरेंद्र जगताप, विधायक अमित झनक, पूर्व विधायक आशीष देशमुख, किशोर गजभिये, अतुल लोंढे,जिप सदस्य नाना कमाले, सुरेश भोयर उपस्थित थे।
Created On :   17 May 2019 3:19 PM IST