बिजली की मांग के साथ बढ़ेगा शुल्क, उपभोक्ताओं पर पड़ेगा बोझ

Duty will increase with the demand of electricity, burden on consumers
बिजली की मांग के साथ बढ़ेगा शुल्क, उपभोक्ताओं पर पड़ेगा बोझ
बिजली की मांग के साथ बढ़ेगा शुल्क, उपभोक्ताओं पर पड़ेगा बोझ

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गर्मी के साथ बढ़ रही बिजली की मांग के साथ अब इसका बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ने वाला है। बता दें महावितरण ने बगैर किसी क्षेत्र में बिजली कटौती किए अब तक बिजली की मांग पूर्ण की, लेकिन यह आसानी से नहीं हुआ। इसके लिए महावितरण ने पूरे स्रोतों को आजमाया। गर्मी बढ़ने के साथ ही बिजली की मांग बढ़ेगी और तब महावितरण के पास पावर एक्सचेंज के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा। और फिर महावितरण को पावर एक्सचेंज में बड़ी मात्रा लेने उतरना पड़ सकता है, ऐसे में यहां दरों में बड़ा उछाल दर्ज हो सकता है। इसका सीधा असर आम उपभोक्ता पर पड़ेगा। महावितरण मंहगी खरीदी गई बिजली के अंतर को ईंधन समायोजन शुल्क के रूप में विद्युत उपभोक्ताओं से ही वसूलेगी।

पूरी ताकत से  चला कोयना
बिजली की मांग को पूरा करने के लिए कोयना जल विद्युत संयंत्र को पूरी ताकत से चलाना पड़ा। 1920 मेगावॉट की क्षमता वाले इस बिजलीघर से 17 अप्रैल को 1638 मेगावॉट  बिजली बनानी पड़ी। उल्लेखनीय है कि कोयना को आपात स्थिति में ही चलाया जाता है। 

कहां से मिली कितनी
महानिर्मिति के गैस व कोयला आधारित बिजलीघरों ने 6740 मेगावॉट  बिजली दी। इसके अलावा कोयना से 1638 मेगावॉट, घाटघर व छोटे जल विद्युत संयंत्रों से 157 मेगावॉट, दीर्घकालीन करार के अंतर्गत निजी बिजलीघरों से 4206 मेगावॉट, केंद्रीय परियोजनाओं से प्रदेश का हिस्सा 4018 मेगावॉट, अन्य स्रोतों में सौर, पवन, कोजेन व अन्य साधनों से 1776 मेगावॉट। लघुकालीन करारों से 628 मेगावॉट  बिजली मिली। इसके अलावा महावितरण को पावर एक्सचेंज तक दौड़ लगानी पड़ी और 200 मेगावॉट बिजली खरीदनी पड़ी। 

आधुनिकीकरण के कारण अभी तक मिली सफलता 
गत मंगलवार को मुंबई छोड़ कर शेष प्रदेश में बिजली की मांग 19816 मेगावॉट तक बढ़ गई थी। बुधवार की शाम भी व्यस्ततम घंटों में प्रदेश में बिजली की मांग ने 20774 मेगावॉट का आंकड़ा छू लिया था। राज्य का उत्पादन और केंद्रीय परियोजनाओं में राज्य के हिस्से को मिलकार मांग की पूर्ति कर ली गई है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, वैसे-वैसे बिजली की मांग जोर पकड़ रही है। अनुमान यहां तक भी है कि मई में गर्मी की प्रचंडता के चलते प्रदेश की विद्युत मांग 23 से 24 हजार मेगावॉट के आस-पास तक पहुंच सकती है, जबकि मुंबई छोड़कर शेष प्रदेश में मांग का आंकड़ा 21 हजार मेगावॉट तक पहुंच सकता है। महावितरण के अनुसार, विद्युत संरचना के सक्षमीकरण व आधुनिकीकरण के कारण ही इतनी अधिक मांग को बगैर किसी बाधा के पूर्ण किया जा सका। 

मार्च में ही बढ़ गई थी मांग
मार्च की शुरुआत में ही प्रदेश की विद्युत मांग बढ़ गई थी। मुंबई को छोड़ शेष प्रदेश में उस समय विद्युत मांग 18500 मेगावॉट के आस-पास थी। गर्मी के बढ़ते ही मांग ने जोर पकड़ा और अप्रैल मध्य आते आते विद्युत मांग में करीब 1300 मेगावॉट की बढ़त दर्ज हो गई। गर्मी अभी पीक पर आने को ही है। इससे लगता है कि मई में बिजली की मांग 21 हजार मेगावॉट के आस-पास पहुंच जाएगी। अभी से महावितरण ने पूरे स्रोतों को आजमा लिया है। अत: पावर एक्सचेंज के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा। 

महाराष्ट्र पावर एक्सचेंज में मचा देता है उथल-पुथल
कोयले के दाम मौसम की मार और मांग की अधिकता के चलते इस साल पावर एक्सचेंज गर्म चल रहा है। पावर एक्सचेंज में फिलहाल औसत विद्युत दर 4 रुपए से कुछ ऊपर चल रही है। खास यह कि यह दरें तब हैं जब महावितरण ने अभी पावर एक्सचेंज का दरवाजा नहीं खटखटाया है। महाराष्ट्र के खुले बाजार में खरीद में उतरते ही दरों में उछाल आता रहा है। जानकारी के अनुसार, इसका कारण तुरंत भुगतान मिलना है। आगे विद्युत की मांग बढ़ने पर महावितरण को पावर एक्सचेंज में बड़ी मात्रा लेने उतरना पड़ सकता है, ऐसे में यहां दरों में बड़ा उछाल दर्ज हो सकता है। इसका सीधा असर आम उपभोक्ता पर पड़ेगा। महावितरण मंहगी खरीदी गई बिजली के अंतर को ईंधन समायोजन शुल्क के रूप में विद्युत उपभोक्ताओं से ही वसूलेगी। 

 

Created On :   21 April 2018 4:22 PM IST

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