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काटोल उपचुनाव के पक्ष में नहीं है चुनाव आयोग
डिजिटल डेस्क, नागपुर। काटोल विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव कराने के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय की अवकाशकालीन बेंच में सुनवाई हुई। चुनाव आयोग ने अपनी भूमिका स्पष्ट की कि इस वक्त वे काटोल में उपचुनाव कराने के इच्छुक नहीं है। दिनेश ठाकरे और दीपक तुले ने याचिका दायर कर काटोल में उपचुनाव कराने की प्रार्थना की है। इस पर कोर्ट ने चुनाव आयोग को भूमिका स्पष्ट करने को कहा था, जिसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी है। काटोल के विधायक आशीष देशमुख के इस्तीफा देने के बाद से यह सीट खाली है।
उपचुनाव को चुनौती
चुनाव आयोग ने यहां 11 अप्रैल को उपचुनाव कराने का निर्णय लिया, तो संदीप सहारे ने हाईकोर्ट में उपचुनाव को चुनौती दी थी। तर्क था कि अभी चुनाव लेने से मनुष्यबल, संसाधनों के अलावा अनावश्यक खर्च होगा, क्योंकि 6 माह में ही काटोल समेत प्रदेश भर में विधानसभा चुनाव होने हैं। राज्य सरकार पहले ही काटोल को सूखा प्रभावित क्षेत्र घोषित कर चुकी है। ऐसे में हाईकोर्ट में न्या. सुनील शुक्रे और न्या. पुष्पा बैनर्जी की खंडपीठ ने 11 अप्रैल का चुनावी नोटिफिकेशन रद्द करके चुनाव आयोग को दोबारा विचार करने के आदेश दिए थे, जिसके बाद तुले और ठाकरे ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
उल्लेखनीय है कि आशीष देशमुख के इस्तीफा के बाद काटोल विधानसभा क्षेत्र की सीट खाली हुई थी। अप्रैल में चुनाव का विरोध करते हुए इस चुनाव को स्थगित कर दिया जाए। इसलिए काटोल उपचुनाव के विरोध में भाजपा और राष्ट्रवादी की तरफ से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। आशीष देशमुख के इस्तीफे के साथ, लोकसभा के साथ-साथ काटोल विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव होने वाला था। इस निर्वाचन क्षेत्र के संरक्षण के लिए भाजपा की प्रतिष्ठा महसूस की गई। हालांकि, छह महीने के लिए विधायकों को मिलने के कारण, राजनीतिक नेता इस उपचुनाव को लेकर बहुत उत्साहित नहीं दिखे।
काटोल राष्ट्रवादी के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख इनका पारंपरिक निर्वाचन क्षेत्र है। पिछले विधानसभा चुनाव में पूर्व मंत्री रंजीत देशमुख के बेटे आशिष देशमुख ने काका अनिल देशमुख को हराया था।आशीष देशमुख ने भाजपा को न सौंपने के कारण विधानसभा से इस्तीफा दे दिया। भाजपा छोड़ने के बाद, उन्होंने कांग्रेस में प्रवेश किया। हालांकि उपचुनाव, वे लड़ने नहीं जा रहे थे।
Created On :   15 May 2019 11:54 AM IST