तीन साल में सवा छह करोड़ का गबन हुआ, ऑडिटर्स और सीए की जांच रिपोर्ट पर उठे सवाल

तीन साल में सवा छह करोड़ का गबन हुआ, ऑडिटर्स और सीए की जांच रिपोर्ट पर उठे सवाल
तीन साल में सवा छह करोड़ का गबन हुआ, ऑडिटर्स और सीए की जांच रिपोर्ट पर उठे सवाल

गबन कांड - जिम्मेदार अब भी नहीं हुए बेनकाब
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा।
जिला सहकारी की कृषि शाखा में सवा छह करोड़ रुपए के गबन के मामले में अब भी जिम्मेदार बेनकाब नहीं हो पाए। निचले कर्मचारियों को आरोपी बनाए जाने की सिफारिश कर अधिकारियों को बचाया जा रहा है। बैंक व शाखाओं का ऑडिट करने वाले सीए और समितियों का ऑडिट करने वाले प्रशासकों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। मॉनिटरिंग का जिम्मा उठाने वाले अधिकारी भी इस मामले में कुछ भी कहने से बच रहे हैं। जानकारी अनुसार सहकारी बैंक की कृषि शाखा में साल 2015 से 2018 के बीच सवा छह करोड़ रुपए के गबन का मामला सामने आ चुका है। बैंक की ऑडिट टीम ने जहां तीसरे जांच प्रतिवेदन में सवा छह करोड़ के गबन का खुलासा किया है, वहीं सहकारिता विभाग की स्पेशल ऑडिट अभी जारी है। करोड़ों रुपए के गबन में ब्रांच मैनेजर, ब्रांच के कर्मचारी व खाताधारकों को आरोपी बनाने की पेशकश पुलिस से की गई है। लेकिन अब तक समिति प्रबंधक, प्रशासक, कोर बैंकिंग सिस्टम प्रभारी, एकाउंट मैनेजर की जवाबदेही तय नहीं हुई है। सहकारी बैंक और सहकारिता विभाग में भी गबन कांड के लिए जिम्मेदार अफसरों को ही स्पेशल ऑडिट का जिम्मा दिया गया है।
ये सवाल अब भी अनसुलझे
- समितियों के प्रबंधक, ऑडिटर्स, प्रशासक तीन सालों में नहीं देख सके फाल्स ट्रांजेक्शन
- जो कर्मचारी ब्रांच में पदस्थ ही नहीं उसके नाम की आईडी-पासवर्ड कैसे और किसने जनरेट कराया।
- सहकारी बैंक और बैंक शाखाओं ऑडिट करने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट तीन साल तक क्या ऑडिट करते रहे।
- कोर बैंकिंग सिस्टम को ऑपरेट करने वाले प्रभारी, एकाउंट मैनेजर की निगरानी के बावजूद कैसे होता रहा गबन।
- जिम्मेदार अफसरों को ही सौंप दी गई गबन की जांच, निष्पक्ष जांच पर उठ रहे सवाल।
ईओडब्ल्यु से जांच की मांग
सामाजिक कार्यकर्ता अंशुल शुक्ला ने इस मामले में सहकारिता मंत्री और ईओडब्ल्यु को पत्र लिखा है। जिसमें प्रदेश स्तर से गठित विशेष जांच टीम से निष्पक्ष व गंभीरता से गबन की जांच की मांग की है। जिम्मेदार अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है।
इनका कहना है
बैंक का कर्मचारी ही समितियों में पदस्थ किया जाता है। सात सालों में इतनी बड़ी राशि का गबन होता रहा। सहकारी बैंक प्रबंधन और सहकारिता विभाग के जिम्मेदार अफसरों की जवाबदेही तय होनी चाहिए। सहकारिता मंत्री से लगातार इस मामले में विशेष जांच कर जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की मांग की जा रही है। ऐसी घटनाओं से बैंक की शाख पर बहुत असर पड़ता है। लाखों किसान बैंक से जुड़े हैं। इस मामले को गंभीरता से अभी भी नहीं लिया जा रहा है।
अरुण कपूर, पूर्व सहकारी बैंक अध्यक्ष
 

Created On :   28 Jun 2021 6:05 PM IST

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