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डॉक्टरों की लापरवाही, जिंदा होने के बाद भी दे दिया डेथ सर्टिफिकेट

डिजिटल डेस्क,नागपुर। सरकारी अस्पतालों में अक्सर खामियां उजागर होती रहती है इसलिए कई लोग प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज करवाना पसंद करते हैं, लेकिन निजी अस्पताल भी बेहद लापरवाही बरतने लगे हैं। ऐसा ही एक वाकया सामने आया है। जब एक जिंदा मरीज का डेथ सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया।
दरअसल स्वाइन फ्लू से पीड़ित एक युवती ने निजी अस्पताल में कई दिनों तक इलाज करवाया। वह पूरी तरह स्वस्थ्य होकर घर भी पहुंच गई। इधर. अस्पताल से डिस्चार्ज होने के साथ ही गलती से उसका डेथ सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया गया और इस मौत की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को भी दे दी गई। विभाग ने इस सूचना को सार्वजनिक कर दिया और कुछ मीडिया में भी मौत की खबर आ गई। दूसरे दिन ही इस सूचना के आधार पर परिचित अंतिम संस्कार के लिए घर पहुंच गए। पीड़ित और उनके परिवार को जब इसकी जानकारी लगी, तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। युवती ने संबंधित अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग पहुंचकर अपने जिंदा होने का सबूत दिया, तब अस्पताल प्रबंधन ने माना कि उनसे गलती हुई। उनका कहना है कि क्लेरिकल मिस्टेक थी, जिसका स्पष्टीकरण स्वास्थ्य विभाग को भेज दिया गया है। इसके बाद युवती परिचितों से लेकर परिजनों तक को अपने जिंदा होने का सबूत पेश करती रही।
घर पहुंचने लगे परिचित
लापरवाह डॉक्टरों ने मनपा और स्वास्थ्य विभाग को डी-फार्म भेज दिया। इधर, 14 दिनों तक स्वाइन फ्लू से लड़कर जिंदगी की जंग जीत चुकी रश्मि डिस्चार्ज होकर घर पहुंची। जैसे ही स्वास्थ्य विभाग और मनपा को डी-फार्म पहुंचा, तो उन्होंने सरकारी रिकॉर्ड में रश्मि को मृत मान लिया और इसकी सूचना स्वाइन फ्लू से हो रही मौतों के आंकड़ों के साथ सार्वजनिक कर दी। इसकी जानकारी कुछ मीडिया संस्थाओं में भी जारी हो गई। इसे देखकर परिचित और परिजनों में हड़कंप मच गया। वहीं परिचित अंतिम संस्कार के लिए घर पर पहुंचने लगे। इसके चलते परिवार सदमें में आ गया।
युवती ने खुद जाकर दिया जिंदा होने का सबूत
रश्मि अपने जिंदा होने का सबूत देने खुद चांडक अस्पताल पहुंची और वहां प्रबंधन को अपने जिंदा होने का सबूत दिया। इसके बाद उसे पता चला कि अस्पताल की सूचना पर मनपा और स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड में वह मृत हो चुकी है। दोनों विभागों में भी रश्मि को अपने जिंदा होने का सबूत पेश करना पड़ा। वह जिंदा है यह बताने के लिए भी एक अधिकारी से दूसरे अधिकार के पास भेजा गया। रश्मि मनपा और स्वास्थ्य विभाग पहुंची और अपने जिंदा होने की बात कही। इस पर कर्मचारियों ने यह बात साबित करने के लिए एक अधिकारी से लेकर दूसरे अधिकारी की टेबल पर भेजा। कई सर्टिफिकेट मांगे, तब जाकर माना कि रश्मि जिंदा है। अब विभाग अपना रिकाॅर्ड सुधार रहा है।
सी की जगह डी फार्म भरवाया
मामला 27 साल की युवती रश्मि (बदला हुआ नाम) निवासी हिंगना का है। वह एमआईडीसी की एक निजी कंपनी में कार्यरत है। सितंबर माह में रश्मि की तबीयत खराब हुई, जिसके बाद नागपुर के तीन निजी अस्पतालों में इलाज करने के बाद भी उसे आराम नहीं मिला था। ऐसे में सीए रोड स्थित चांडक अस्पताल में 14 सितंबर को रश्मि को एडमिट किया गया था, जहां डॉक्टरों ने उसका स्वाइन फ्लू का इलाज किया। 18 सितंबर तक रश्मि ठीक हो गई थी। अब अगले दिन उसे डिस्चार्ज किया जाना था। नियमानुसार स्वाइन फ्लू से ठीक हुए मरीज का रिकॉर्ड के लिए सी-फार्म भरवाया जाता है। वहीं स्वाइन फ्लू से मौत होने वाले मरीजों के परिजनों से डी-फार्म भरवाया जाता है, ताकि मनपा और स्वास्थ्य विभाग को इसकी जानकारी दे सकें, लेकिन रश्मि के परिजनों से सी व डी दोनों फार्म भरवाए गए।
मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ा
पीड़िता का कहना है कि किसी को खुद अपने जिंदा होने का सबूत देना पड़े, इससे बड़ी विडंबना उसके जीवन में क्या होगी। अस्पताल की गलती के कारण मुझे व मेरे परिवार को जो परेशानी उठानी पड़ी, उसकी भरपाई किसी भी तरह नहीं हो सकती। इस गलती से मेरे परिवार, परिचितों और रिश्तेदारों को भी मानसिक पीड़ा हुई। उसे स्वाइन फ्लू होने की बात मीडिया में आ गई, तब से कोई उसके पास बैठने के लिए भी तैयार नहीं है। ऐसे में उसे जिल्लत सहनी पड़ रही है।
अस्पताल ने स्पष्टीकरण भेजा
चांडक अस्पताल के संचालक डॉ.राजेन्द्र चांडक ने बताया कि मरीज का उपचार हमारे अस्पताल में हुआ और वह स्वस्थ्य होकर यहां से गई। हमें मरीज की हर जानकारी स्वास्थ्य विभाग को देनी होती है। पिछले दिनों एक मरीज का डी-फार्म गलती से हमारे यहां से मनपा में चला गया, उसमें मृत्यु का कारण व उसकी दिनांक नहीं लिखी थी, क्योंकि ऐसा कुछ नहीं हुआ था। हमें मामले की जानकारी हुई, तो हमने स्वास्थ्य विभाग को अपना स्पष्टीकरण भेज दिया।
अस्पताल से गलत जानकारी मिली
मनपा स्वास्थ्य विभाग डॉ. सुनील घुरडे ने कहा कि रश्मि के मामले में हमारे पास अस्पताल से डी-फार्म में जो जानकारी आई, उसे सीधे स्वास्थ्य विभाग को भेज दी। अस्पताल से गलत जानकारी आई। बाद में ध्यान में आया कि जिस मरीज की मृत्यु का उल्लेख किया है, वह स्वस्थ्य है। अस्पताल ने हमें लिखित स्पष्टीकरण दिया है। इसके लिए माफी मांगी गई है।
हम सभी से जवाब मांगेंगे
स्वास्थ्य विभागसहायक संचालक डॉ. संजय जयस्वाल ने कहा कि मेरे पास भेजी गई जानकारी को एकत्र कर हम प्रकाशन के लिए देते हैं। ऐसे में हर बिंदु पर उसकी जांच नहीं कर पाते हैं। हां यह तकनीकि गलती कहां हुई, इसकी जानकारी लेकर सभी संबंधित व्यक्ति से जवाब मांगा जाएगा।

Created On :   3 Nov 2017 1:13 PM IST