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कभी खत से जुड़ा था भावनात्मक रिश्ता, ढाई आखर के लिए राज्यपाल ने कुछ लिखा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। मोबाइल और कंप्यूटर जैसे उपकरणों के चलते अब लोगों से बातचीत करना और उनका कुशलक्षेम जानना बेहद आसान हो गया है। लेकिन इन साधनों से चिठ्ठी लिखने की पुरानी परंपरा समाप्तप्राय हो गई है। आधुनिक साधनों ने लोगों को जोड़ा तो लेकिन पत्रों के साथ जो भावनात्मक रिश्ता बनता था उसे खत्म कर दिया। शायद यही वजह है कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने आधुनिक तकनीक के इस समय में भी पत्रलेखन की पुरानी परंपरा सहेजकर भविष्य की ओर बढ़ने पर जोर दिया है। महात्मा गांधी की 150 वी जयंती के मद्देनजर भारतीय डाक विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय दुर्लभ डाक टिकटों की प्रदर्शनी का उद्घाटन करने पहुंचे कोश्यारी ने कहा कि डाक टिकट लगाकर पत्र लिखने की संस्कृति दुर्लभ होती जा रही है। ऐसे में इतिहास की जानकारी लोगों तक पहुंचाने और पुरानी परंपरा बचाने की डाक विभाग की कोशिश प्रेरणादायी है। इक्कीसवीं सदी में दुर्लभ डाक टिकटों और पत्रों के संग्रह के जरिए पूर्वजों की संस्कृति बचाकर रखना वक्त की जरूरत है। देश में पैदा हुए महापुरुषों का इतिहास सहेजकर रखने के चलते ही आधुनिक पीढ़ी उनके कामों से परिचित हो रही है। कोश्यारी ने कहा कि पुराने डाक टिकटों की प्रदर्शनी के जरिए विभाग संस्कृति सहेजने में बेहद अहम योगदान दे रहा है। इस मौके पर कोश्यारी ने महात्मा गांधी के पर्यावरण संवर्धन की अवधारणा पर आधारित और महाराष्ट्र की पारंपरिक खाद्य संस्कृति को दर्शाती कवर का भी कोश्यारी ने अनावरण किया। बता दें कि इस प्रदर्शनी में 192 दुर्लभ डाक टिकटों का प्रदर्शन किया गया है। प्रदर्शनी के जरिए आधुनिक पीढ़ी को डाक टिकटों के संवर्धन के लिए प्रोत्साहित करने और जागरूक करने की कोशिश है।
पहला पत्र राज्यपाल का
पत्रलेखन की संस्कृति को बचाने और बढ़ावा देने के मकसद से डाक विभाग ने ढाई आखर नाम की पत्र लेखन स्पर्धा शुरू की है इसके लिए पहला पत्र राज्यपाल कोश्यारी ने डाक के जरिए भेजा। कार्यक्रम के दौरान मणिभवन की सचिव गांधीवादी ऊषा ठक्कर, मुख्य पोस्टमास्टर जनरल हरिशचंद्र अग्रवाल, शेफ संजीव कपूर, पोस्टमास्टर जनरल स्वाती पांडे आदि मौजूद थे।
Created On :   6 Nov 2019 7:28 PM IST