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रास्ते में कैसे गायब हो रहा है उद्योगों का कोयला, यहां से रोजाना निकलते हैं 200 ट्रक

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उमरेड ओपन कास्ट माइंस से औद्योगिक इकाइयों तक पहुंचने वाले कोयले की रास्ते में ही चोरी हो रही है। रास्ते में कोयले से भरे ट्रकों को खड़ा कर उससे कोयला निकाला जाता है और सड़क के किनारे जमा कर दिया जाता है। इसके तुरंत बाद ही पीछे से आ रहे छोटे ट्रक इसे उठाकर ले जाते हैं। एक-एक ट्रक से करीब 500 से 1 हजार किलो तक कोयला चोरी होता है। इस हिसाब से एक दिन में करीब हजारों टन कोयला ऐसे ही पार कर दिया जाता है। धर्मकांटे पर पहुंचने के पहले खाली ट्रक में पानी की केन, पत्थर, मिट्टी-बुरादा मिला दिया जाता है, ताकि वजन में कमी नहीं आए। सेंटिंग के तहत चालक को प्रति किलो 4 रुपए दिए जाते हैं, इस हिसाब से कम से कम प्रति ट्रक 2 हजार तक की कमाई होती है। बाजार में यही कोयला 5000 से 6000 रुपए प्रति टन बिक जाता है। इस सेंध का नुकसान वेकोलि तथा खरीददार औद्योगिक इकाइयों को लगता है। रोज होने वाले इस गोरखधंधे को जानते सभी हैं, मगर मिलीभगत के चलते रोकने को कोई तैयार नहीं। इस चोरी पर जब हमने वेकोलि के अधिकारियों से पूछा तो उनका कहना था कि रास्ते में हो रही चोरी के लिए वे जिम्मेदार नहीं है। पुलिस को रोकना चाहिए। वहीं, संबंधित थाने का कहना है कि हमारे क्षेत्र में सब ठीक-ठाक है। कोई कोयले की चोरी नहीं होती।
1- रास्ते में कोयला उतारने ऐसे खड़े होते हैं ट्रक
2- ट्रक से कोयला फेंक सड़क पर लगाते हैं ढेर
3- पीछे आ रही गाड़ी कोयला भर कर निकल जाती है
सब कुछ पहले से ही निर्धारित
उमरेड ओपन कास्ट माइंस से महज 500 मीटर की दूरी पर गंगापुर चौक है। यहां अग्निशमन विभाग कार्यालय के आस-पास कुछ लोग वैसे तो छितराए नजर आते हैं, लेकिन ट्रक के आते ही गोलबंद हो जाते हैं। ट्रक के रुकते ही कुछ लोग उस पर चढ़ जाते हैं। चंद मिनटों में ही काफी कुछ कोयला फेंकने के बाद ट्रक पर चढ़े लोग उतर जाते हैं। तब तक कुछ नीचे ही आने-जाने वालों पर नजर रखते हैं।
तड़के 5 बजे से देर रात तक चोरी
दैनिक भास्कर ने इस कोयला चोरी का राज उजागर करने के लिए कुछ दिनों तक पैनी नजर रखी। पता चला कि ऐसा रोज होता है और एक-दो नहीं, दर्जनों ट्रकों के साथ। नीचे गिराए गए कोयले को छोटे ट्रक अथवा वाहनों में लाद दिया जाता है। सूत्रों के मुताबिक पिछले 6 माह से उमरेड खदान के आसपास तकरीबन 4 किलोमीटर के दायरे में कोयला चोरों का गिरोह अपनी पैठ बना चुका है। रोजाना 15-20 टन कोयले की चोरी हो रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि कोयला चोरी करने वाले आरोपियों की धर-पकड़ के लिए इस परिसर में न तो सुरक्षा व्यवस्था है, न ही पुलिस दल कार्रवाई करता नजर आता है। रोजाना तड़के 5 बजे से कोयले की चोरी देर रात तक होती रहती है।
हमारे यहां कभी कोयला चोरी की कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई
यशवंत सोलसे, वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक के मुताबिक उमरेड खदान के आस-पास सब कुछ ठीक-ठाक व वैध है। कोयला चोरी की किसी प्रकार की शिकायत हमें नहीं मिली है। इस मामले में अभी तक शिकायत भी दर्ज नहीं है।
मिलीभगत से गोरखधंधा
उमरेड खदान से रोजाना 150-200 ट्रक कोयला विविध एमआईडीसी क्षेत्र में शुरू इकाइयों के लिए निकलता है। इस खदान से तकरीबन 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गोकुल खदान से भी लगभग 25-30 ट्रक कोयला इन इकाइयों के लिए रवाना होता है।
बाजार में बेचकर कमा रहे मुनाफा : इस मामले में कुछ अधिकारियों व पुलिसकर्मियों से साठ-गांठ की भी चर्चा है। औद्योगिक इकाइयों के लिए भेजा जाने वाला कोयला सब्सिडी रेट में उपलब्ध होता है। जानकारों के मुताबिक सब्सिडी रेट तकरीबन 1800 रुपए प्रति टन तय है, जबकि चुराया हुआ कोयला 5-6 हजार रुपए प्रति टन की दर से बेचा जा रहा है। इससे होने वाले मुनाफे की कई स्तर पर बंदरबाट होने की जानकारी है।
अनलोडिंग प्रतिबंधित हो
खदान परिसर के आस-पास ट्रकों से कोयला चुराने की वारदात की रोकथाम के लिए खदान से 50 से 100 किलोमीटर के दायरे में कोयले की ट्रकों से अनलोडिंग को प्रतिबंधित किया जा सकता है।
प्रतिबंध लगाने का अधिकार जिला प्रशासन को है। कुछ वर्ष पूर्व कई खदानों के आस-पास निर्धारित दायरे में कोयले की ट्रकों से अनलोडिंग को प्रतिबंधित किया गया था, पर गत कुछ वर्षों से इस मामले में ढील दे दी गई है, जिसकी वजह से सरेराह कोयले की चोरी को अंजाम दिया जा रहा है।
Created On :   20 Dec 2021 5:54 PM IST