फडणवीस बोले - किसी के घर पर आंदोलन का समर्थन नहीं करती है भाजपा

Fadnavis said - BJP does not support agitation at anyones house
फडणवीस बोले - किसी के घर पर आंदोलन का समर्थन नहीं करती है भाजपा
सरकार पर निशाना फडणवीस बोले - किसी के घर पर आंदोलन का समर्थन नहीं करती है भाजपा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने के प्रयास संंबंधी बयान पर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने राज्य सरकार पर ही राजनीति करने के आरोप लगाए हैं। फडणवीस ने कहा है कि सरकार अपनी असफलता को छिपा नहीं पा रही है। लिहाजा राष्ट्रपति शासन की बात कर सहानुभूति पाने का प्रयास कर रही है। हनुमान चालीसा को लेकर निर्दलीय सांसद नवनीत कौर व विधायक रवि राणा के विरोध में शिवसेना के प्रदर्शन को लेकर फडणवीस ने कहा कि किसी के घर पर प्रदर्शन का भाजपा समर्थन नहीं करती है। लेकिन मुंबई में जो कुछ हुआ उससे लगता है कि राणा दंपति को शिवसेना राष्ट्रीय स्तर का नेता बनाने लगी है। शनिवार को फडणवीस ने विमानतल पर पत्रकारों से चर्चा की। अमरावती में हिंसा व लाऊडस्पीकर, हनुमान चालीसा की राजनीति को लेकर गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटील ने भरोस जताया था कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कराने का प्रयास किया जा रहा है। यहां की कानून व्यवस्था का खराब दर्शाने के साथ ही सरकार को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। इस पर फडणवीस ने कहा-गृहमंत्री जानते हैं कि राष्ट्रपति शासन कब लागू होता है। असल में इस तरह की बातें जनता की सहानुभूति लेने के लिए की जाती है। लेकिन राज्य सरकार को कोई सहानुभूति नहीं मिलनेवाली है।

राज्य में पुलिस पर दबाव डाला जा रहा है। पुलिस के माध्यम से तनाव फैलाया जा रहा है। मुंबई में मोहित कंबोज पर हमला कराकर उसे ही अपराधी दर्शाने का प्रयास किया गया। किसी ने कहा कि कंबोज के पास तलवार थी, बंदूक थी। किसी ने कहा वह एसिड लेकर चल रहा था। लेकिन सीसीटीवी फुटेज में सब कुछ साफ हो गया है। पुलिस पर दबाव है। राणा दंपति के मामले में शिवसेना ने जो कुछ किया उसे भी राज्य की जनता देख चुकी है। किसी के घर के सामने प्रदर्शन का समर्थन नहीं किया जा सकता है। लेकिन राणा दंपति हनुमान चालीसा पढ़ने गए थे। वे किसी कोने में चालीसा पढ़कर लौट जाते। उनके खिलाफ प्रदर्शन कराने की आवश्यकता नहीं थी। शिवसेना प्रवक्ता संजय राऊत के बयानों को लेकर फडणवीस ने कहा कि राऊत को न तो वे गंभीरता से लेते हैं न ही शिवसेना लेती है। इस तरह के कागजी लोग राजनीतिक परिवर्तन नहीं कर सकते हैं। वे शिष्टाचार की बातें तो करते हैं लेकिन जिस तरह से बोलते हैं उसे लोग घर में सुनना भी पसंद नहीं करते हैं। 

Created On :   24 April 2022 3:35 PM IST

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