सेवानिवृत्त कर्मचारियों के नाम पर 10 लाख का फर्जी भुगतान
डिजिटल डेस्क,कटनी। जिला कोषालय कार्यालय में सरकारी खजाने को चपत लगाने का मामला अब लोक निर्माण विभाग तक पहुंच गया है। यहां पर भी दो सेवानिवृत्त कर्मचारियों के नाम पर 10 लाख रुपए का फर्जी तरीके से भुगतान होने का मामला सामने आया है। जिसके बाद विभाग में हडक़ंप की स्थिति है। यहां पर जब कैश बुक का मिलान किया गया तो यह पाया गया कि जिन दो कर्मचारियों को पहले ही सेवानिवृत्त पर भुगतान किया जा चुका है। उन कर्मचारियों के नाम पर भी करीब 5-5 लाख की राशि का दोबारा भुगतान अलग-अलग भुगतान किया गया है। खातों की जानकारी जुटा ली गई है। जांच पूरी हो जाने के बाद लोक निर्माण विभाग में पुलिस के पास पहुंचेगा।
इस तरह से समझे भुगतान की प्रक्रिया, बारिकियां
शासन ने जो नियम बनाए हैं। उस नियम के तहत तो कहीं पर गड़बड़ी होने की आशंका न के बराबर है, लेकिन कोषालय के अमले ने घोटाला करते हुए शासन की मंशा पर ही पानी फेर दिया। नियमों के मुताबिक यदि किसी कार्यालय में किसी बिल का भुगतान होता है, तो सबसे पहले उस बिल का परीक्षण संबंधित लिपिक करता है। जिसे शासकीय भाषा में क्यूरेटर कहा जाता है। इसके बाद क्यूरेटर इस बिल को आहरण संवितरण अधिकारी (कार्यालय प्रमुख अधिकारी) के पास भेजता है। इसके बाद यह बिल कोषालय कार्यालय में पहुंचता है। यहां पर इस बिल का परीक्षण तीन स्तर में किया जाता है। जिसमें सबसे पहले कोषालय का लिपिक इसका परीक्षण करता है। इसके बाद सहायक कोषालय अधिकारी और फिर बाद में कोषालय अधिकारी बिल को एपु्रवल देते हैं। यह सब काम कम्प्यूटर में यूजर और पासवर्ड के आधार पर ही होता है।
ढीमरखेड़ा के मामले में दर्ज अपराध
जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा में रिटायर्ड कर्मचारियों के नाम पर फर्जी भुगतान के मामले में लिपिक धीरज सिंह और तीन अन्य पर धारा 420 के तहत मामला कायम कर लिया है। यहां पर 26 लाख 65 हजार 394 रुपए का भुगतान उक्त लिपिक ने फर्जी बिल लगाकर झांसी, दिल्ली व अहमदाबाद के खातों में जमा कराया था। उक्त लिपिक के ऊपर पुलिस ने पहले बड़वारा विकासखण्ड में घोटाला होने पर धारा 420 के तहत मामला कायम किया था। उक्त लिपिक फिलहाल जेल में बंद है।
Created On :   4 March 2023 6:01 PM IST