विदर्भ राज्य बनने पर ही थमेगी किसान आत्महत्या

Farmer suicides stops only after when Vidarbha becomes state
विदर्भ राज्य बनने पर ही थमेगी किसान आत्महत्या
विदर्भ राज्य बनने पर ही थमेगी किसान आत्महत्या

डिजिटल डेस्क,नागपुर । विदर्भ क्षेत्र के साथ वर्षों से अन्याय हो रहा है। किसानों की स्थिति ठीक नहीं है। विदर्भ राज्य बने बिना किसानों की आत्महत्या नहीं थमेगी। आत्महत्याग्रस्त किसान परिवार की महिला छाया पाटील ने यह विचार रखा। किसानों की स्थिति दुनिया के सामने लाने के लिए 19 मार्च 1986 को साहेबराव पाटील ने आत्महत्या की थी। छाया पाटील के पति प्रकाश पाटील साहेबराव पाटील के भाई हैं। छाया पाटील ने साहेबराव की आत्महत्या से जुड़े प्रसंग को याद दिलाते हुए कहा कि साहेबराव के परिवार ने आत्मबलिदान दिया था।  विदर्भ राज्य आंदोलन समिति का दूसरा राष्ट्रीय अधिवेशन डॉ.वसंतराव देशपांडे सभागृह में आरंभ हुआ। अधिवेशन के उद्घाटन के अवसर पर छाया पाटील बोल रही थीं। उन्होंने बताया कि साहेबराव पाटील उच्च शिक्षित थे। सरपंच थे। कीर्तन में रुचि रखते थे, लेकिन आर्थिक संकट में फंसकर उन्होंने परिवार समेत आत्महत्या की थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता विदर्भ राज्य आंदोलन समिति के अध्यक्ष वामनराव चटप ने की। मंच पर मुख्य संयोजक राम नेवले, आर.एस रुईकर, श्रीनिवास खांदेवाले, धनंजय धार्मिक, प्रबीर चक्रवर्ती, डॉ.जी.एस ख्वाजा, नंदा पराते, विजया धोटे, राजकुमार तिरपुडे, अरुण केदार, ओंकार बुलबले, गाेविंद भेंडारकर, आत्महत्याग्रस्त किसान परिवार के प्रकाश राठोड, गोपाल दाभाडकर, दत्ता राठोड, सुमन सरोदे, त्रिवेणा गुल्हाने, विट्‌ठल राठोड, पारोमिता गोस्वामी, इंद्रजीत आमगांवकर, स्वतंत्र कोकण आंदोलन के प्रतिनिधि भाऊ पानसरे उपस्थित थे।

स्मरणिका विमोचित 
विदर्भ राज्य की मांग के संबंध में स्मरणिका का प्रकाशन किया गया। इसमें विविध विषयों का समावेश है। अधिवेशन के अध्यक्ष वामनराव चटप ने रुईकर इंस्टीट्यूट की अध्ययन रिपोर्ट का विमोचन किया। श्रीनिवास खांदेवाले ने कहा कि किसानों की आत्महत्या के बाद भी देश में राज व्यवस्था, शासकीय व्यवस्था, कृषि व्यवस्था में बदलाव नहीं हुआ है। कर्ज माफ करने या कम दर पर कर्ज देने से किसानों की समस्या हल नहीं होगी। वैश्वीकरण के बाद भी देश में रोजगार नहीं मिल रहा है। विदर्भ आंदोलन के लिए यह तय करने का समय आ गया है कि यह शांति से हो या हिंसक किया जाए। जी. एस. ख्वाजा ने रुईकर इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट की जानकारी दी। कार्यक्रम की प्रस्तावना राम नेवले ने रखी। संचालन मंजूषा ठाकरे ने किया। आभार कैलाश फाटे ने माना। 
 

Created On :   17 April 2018 2:06 PM IST

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