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संसद में गुंजा विदर्भ के कपास उत्पादक किसानों के नुकसान का मुद्दा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक ओर जहां नागपुर में चल रहें महाराष्ट्र विधानसभा सत्र में शिवसेना और एनसीपी किसानों के मुद्दे पर राज्य सरकार पर हमलावर है। वहीं मंगलवार को संसद में भी दोनों दलों के सांसद इस मुद्दे पर आक्रमक दिखे। एनसीपी सांसद सुप्रीया सुले ने यवतमाल में कीटनाशक के छिडकाव से किसानों की हुई मौत का मुद्दा उठाया, वहीं शिवसेना सांसद प्रकाश जाधव ने बीटी कॉटन के खराब बीज के कारण कपास की खड़ी फसल पर पिंक बोलवर्म की मार से हो रहे आर्थिक नुकसान की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया और आग्रह किया कि सरकार किसानों को उचित मुआवजा दिलाने की दिशा में तत्काल पहल करें।
कीटनाशक के छिडकाव से करीब 50 किसानों की मौत
लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कीटनाशक के छिडकाव से हुई किसानों की मौत के मुद्दे को उठाते हुए सांसद सुले ने कहा कि कीटनाशक के छिडकाव से करीब 50 किसानों की मौत हुई है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सरकार कीटनाशक के छिडकाव की निगरानी कर पा रही है? बोंड इल्ली नामक नए कीड़े के प्रकोप से कपास की पूरी फसल प्रभावित है। इस संकट के कारण पूरे विदर्भ में किसानों की आत्महत्याएं हुई हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि सरकार इस गंभीर स्थिति की ओर गंभीरता से ध्यान दे और कीटनाशक के छडकाव की निगरानी करने वाली प्रणाली विकसित करें, जिससे किसानों की इस तरह की मौतों को रोका जाए।
50 से 80 प्रतिशत कपास की फसल को नुकसान
शिवसेना सांसद जाधव ने कहा कि विदर्भ में कपास की खड़ी फसल पर कीड़ों की मार से लगभग 50 से 80 प्रतिशत कपास की फसल को नुकसान हो रहा है। जाधव ने कहा कि किसानों की नाराजगी बीज बेचने वाली कंपनियों से है, जिनके साथ बेहतर बीज उपलब्ध कराने का केन्द्र सरकार ने करार किया है। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि वह कपास की फसल से पिंक बोलवर्म की मार से बचाने और बीटी कॉटन के खराब बीज उपलब्ध कराने वाली दोषी कंपनियों और राज्य सरकार को निर्देश दें कि वह किसानों को उचित मुआवजा दिलाने की दिशा में तत्काल पहल करें।
धान और सोयाबीन का नहीं मिल रहा उचित दाम
शिवसेना सांसद कृपाल तुमाने ने धान और सोयाबीन की ब्रिक्री का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर नहीं मिलने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने धान और सोयाबीन पर जो न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है, उस हिसाब से खरीदारी ना होने से किसान फसल औने-पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर हैं। लिहाजा सरकार किसानों को हो रहे आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए उपयुक्त कदम उठाएं।
किसानों को तय दाम नहीं मिल पा रहा
नियम 377 के तहत इस मुद्दे के उठाते हुए सांसद तुमाने ने कहा कि सरकार ने कपास के लिए 1550 रुपए और 3050 रुपए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है, लेकिन किसानों को यह दाम नहीं मिल पा रहा है। इसलिए धान खराब न हो इस डर से वे 500-600 रुपये बेच रहे हैं। वहीं सोयाबीन की एमएसपी 3050 रुपए तय किए जाने के बावजूद किसानों से वह 2000-2200 रुपए की दर से खरीदी जा रही है। जिसके कारण किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड रहा है।
एमएसपी के आधार पर हो धान और सोयबीन की खरीदी-सांसद तुमाने
तुमाने ने विदर्भ में बड़े पैमाने पर होने वाली फसल की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि क्षेत्र में साल में 6 बार कपास निकाला जाता है। लेकिन अभी दो बार ही कपास की छटाई हुई है। बाकी फसल पर गुलाबी इल्ली (कीड़ा) लग गई है। जिससे किसानों का पूरा कपास बरबाद हो गया। उन्होंने सरकार से मांग की है कि सरकार कपास उत्पादक किसानों का सर्वे कराकर उन्हें हो रहे आर्थिक नुकसान की भरपाई करें। साथ ही उन्होंने धान और सोयाबीन उत्पादक किसानों को हो रहे आर्थिक नुकसान को देखते हुए सरकार ने उनसे नैफेड के माध्यम से इसकी खरीदी किए जाने की मांग की और आग्रह किया कि सरकार द्वारा तय एमएसपी और किसानों से खरीदी की गई कीमत के बीच वाली रकम को बोनस के रुप में दें।
Created On :   19 Dec 2017 7:20 PM IST