प्याज ने बदहाल तो लहसुन ने किया कंगाल, मौसम की बेरुखी से कम उत्पादन, दाम गिरे

Farmers loss in highest margin in onion and Garlic crop
प्याज ने बदहाल तो लहसुन ने किया कंगाल, मौसम की बेरुखी से कम उत्पादन, दाम गिरे
प्याज ने बदहाल तो लहसुन ने किया कंगाल, मौसम की बेरुखी से कम उत्पादन, दाम गिरे

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। आठ माह पहले मई जून में जिले के किसानों ने दो से पांच रुपए किलो प्याज बेची। बाजार की हालत देखकर कई किसानों ने प्याज को खेत में ही रोटावेटर से कुचलवा दिया। हजारों रुपए का नुकसान झेलकर कई किसानों ने तीन माह बाद लहसुन फसल का जोखिम लिया तो यहां भी बाजार ने दगा दे दिया। पहले किसान प्याज से बदहाल हुए तो अब लहसुन से कंगाल होने की कगार पर हैं।
जिले के मोहखेड़ विकासखंड के किसान लहसुन उत्पादन में अग्रणीय है। लहसुन के भरोसे सैकड़ों किसानों की आर्थिक दशा में सुधार भी आया है लेकिन लहसुन की फसल इन किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है। वर्तमान में लहसुन के थोक दाम 700 से 1200 रुपए प्रति मन (40 किलो) मिल रहे हैं यानी 17 रुपए से 30 रुपए किलो, लेकिन फसल की लागत के अनुरूप यह दाम किसानों के लिए नुकसानदायक हैं।
प्रति एकड़ 40 हजार रुपए की लागत
बीते साल की तुलना में इस साल लहसुन के बीज के दाम होने के कारण प्रति एकड़ लागत भी थोड़ी कम रही। लेकिन खाद और मजदूरों का पारिश्रमिक बढऩे के कारण लागत में बहुत ज्यादा कमी नहीं आई। फिर भी अच्छे उत्पादन और अच्छे भाव की उम्मीद के साथ जिले के किसानों ने लगभग 4500 हेक्टेयर में लहसुन की फसल तैयार की। साढ़े चार माह तक फसल की देखभाल के बाद जनवरी के पहले पखवाड़े में बाजार खुलते ही किसानों के होश उड़ गए। बीते दस साल में पहली बार लहसुन के बाद इतने कम मिल रहे हैं।
खत्म नहीं हुआ बीते साल का स्टॉक
बाजार में आई मंदी से किसान पशोपेश में है। कई किसान दाम बढऩे की आस में फसल को स्टॉक करने की योजना बना रहे हैं। इधर नागपुर कलमना मार्केट के व्यापारी आजम खान ने बताया कि अभी तक कई स्टाकिस्ट और किसानों के पास बीते साल का लहसुन स्टॉक में है। पुराना लहसुन अभी 400 रुपए से 500 रुपए प्रति मन बिक रहा है। जबकि नया लहसुन 700 से 1000 रुपए प्रति मन बिक रहा है।
लागत भी निकलना मुश्किल
चारगांव करबल निवासी श्रीराम डिगरसे ने बताया कि उन्होंने 60 किलो बीज लगाया था। बीते माह बाजार में लहसुन पत्ती की मांग देखकर कुछ फसल बेच दी। शेष फसल पकने के बाद बुधवार को नागपुर भेजी। फसल के एवज में लगभग 2300 रुपए हासिल हुए हैं। कुल मिलाकर लगभग 4 हजार रुपए फसल से मिले हैं जबकि  खाद बीज की लागत लगभग 10 हजार रुपए है।
लहसुन का समर्थन मूल्य तय हो
भगत खापा के विजय डिगरसे और माधोराव डिगरसे ने कहा कि मसाला उत्पादन में जिले के किसान जीतोड़ मेहनत करते हैं। अधिक उत्पादन के लिए रतलाम, मंदसौर और ऊटी से 100 से 140 रुपए किलो की दर से बीज खरीदकर लगाते हैं। 130 से 150 दिन खेत में फसल की देखरेख के बाद लगभग 10 से 15 गुना कंद निकलते हैं। बीज की कीमत के अनुसार किसानों को 50 से 100 रुपए प्रति किलो के दाम हासिल होने चाहिए तभी किसानों के लिए लहसुन की फसल फायदे का सौदा होगी। किसानों को दाम के जोखिम से बचाने के लिए सरकार को लहसुन का न्यूनतम मूल्य तय करना चाहिए।

 

Created On :   8 Feb 2018 1:46 PM IST

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