सूखाग्रस्त गांवों में लहलहा रही अनार की फसल, करोड़पति बने इन गांवों के किसान

Farmers of Sangluka Taluke became billionaire due to hard work
सूखाग्रस्त गांवों में लहलहा रही अनार की फसल, करोड़पति बने इन गांवों के किसान
सूखाग्रस्त गांवों में लहलहा रही अनार की फसल, करोड़पति बने इन गांवों के किसान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कुछ साल पहले दो जून की रोटी के लिए भटकने वाले किसानों की किस्मत ऐसी बदली अब उनके पास आलीशान बंगले हैं और गाड़ी भी। यहां उपजाए जा रहे अनारों के निर्यात से यहां के किसानों की तकदीर बदली है। साल भर में 1200 करोड़ रुपए तक की आय हो रही है। ये तस्वीर बदली है खेत तालाब की बदौलत। बता दें कि दो दशक पहले तक सांगोला तालुके में खेती तो दूर, पीने के पानी के लिए भी काफी जद्दोजहद करनी पड़ती थी। नाकाफी बरसात की स्थिति में लोग बाजरा और मटकी की उपज पर निर्भर रहते थे, लेकिन खेत तालाब की संकल्पना ने इस मुश्किल स्थिति को आसान बनाने में कारगर मदद की।

स्थानीय किसानों ने बरसात के पानी को इकट्‌ठा करके खेत तालाब बनाए और अनार की फसल लगाना शुरू किया। एखतपुर के किसान प्रभाकर चांदणे बताते हैं कि साल 1972 में तालुके में सूखा पड़ा। पानी की कमी की वजह से 70 हजार से भी ज्यादा लोग दो वक्त के भोजन के लिए रोजगार गारंटी योजना पर निर्भर हो गए। फिर खेत तालाब की मदद से सिंचाई की सुविधा मिली तो यहां अनार की खेती शुरू की गई। 1974 में लगाई गई फसल से चार साल बाद फल आने शुरू हुए। यहां का लाल अनार जब मुंबई के बाजार में बेचने के लिए ले जाया गया तो अच्छी कीमत मिली। चांदणे ने बताया कि यहीं से नई राह मिली। वर्तमान में सांगोला तालुके में सवा लाख टन अनार की उपज हो रही है। 

रूस, बांग्लादेश, यूरोप और अरब देशों तक होता है निर्यात
अच्छी फसल मिली तो  तहसील के किसानों ने अनार के निर्यात की योजना तैयार की। इसके लिए सबसे पहले कृषि विकास सहकारी संस्था बनाई। 6 सहकारी संस्थाओं ने मिलकर भारतीय अनार संशोधन संस्था की स्थापना की। जिसके जरिए अनार का निर्यात शुरू किया। आज यहां का अनार यूरोप, रूस व अरब देशों तक भेजा जा रहा है। सांगोला में पैदा अनार का वजन 300 ग्राम तक होता है। जिसको यूरोपीय देशों में 150 रुपए प्रति किलोग्राम का भाव मिलता है। अरब देशों में ये 100 रुपए किलो तो बांग्लादेश में 80 से 100 रुपए किलोग्राम की कीमत में भेजा जा रहा है।

किसानों ने बनाए आलीशान बंगले 
आजमाल गांव के सरपंच विजय येलपल्ले ने बताया कि अनार बेचकर गांव में हर साल 150 करोड़ रु. तक की आय हो रही है। आजमाल में एक करोड़ रु. की लागत से 25 से ज्यादा बंगले बने हैं। इसी तरह मंगेवाड़ी गांव की कमाई 50 करोड़, चिमका की 25 करोड़, एखतपुर की कमाई 5 करोड़ रु. सालाना हो रही है।

Created On :   4 July 2018 10:54 AM IST

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