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अरहर बेचने पर किसानों को हो रहा है प्रति क्विंटल 1750 रुपये का घाटा, नाफेड बेपरवाह

डिजिटल डेस्क सौंसर । जिले के किसानों को इस साल अरहर की खेती का जोखिम लेना घाटे का सौदा साबित हो रहा है। नाफेड द्वारा समर्थन मूल्य पर अरहर की खरीदी नहीं किए जाने के कारण किसानों को महज 3700 रुपए क्विंटल की दर से अरहर बेचनी पड़ रही है। बीते सप्ताह तक 4500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बिकी। चार दिन में अरहर के दाम जमीन पर आ गए। हालांकि शुक्रवार को दामों में आंशिक सुधार आया लेकिन भाव स्थिर नहीं रहे।
दाम गिरने से मंडी में अरहर की आवक में 50 फीसदी की कमी आ गई है। शुक्रवार को मात्र 200 क्विंटल की आवक रही। अरहर का समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल 5450 रुपए है, बाजार शुरू हुआ तो यह रेट 4 हजार से शुरु होकर 4500 रुपए तक पहुंचा। इस सप्ताह बाजार रेट में प्रति क्वि. 800 से 900 रुपए की गिरावट आई। समर्थन मूल्य के अनुसार यह अंतर प्रति क्वि. 1750 से 1800 रुपए है। प्रति क्वि. पर इतने दाम कम होने से किसानों की आखों से आंसू निकल रहे हंै। मंडी में अरहर लेकर पहुंचे सीतापार के केशव कापसे ने बताया कि रेट कम होने से फसल की लागत भी वसूल नहीं हो पा रही है। अरहर के गिरते रेट को लेकर किसान चिंतित है और सरकार की नीतियों पर आक्रोष जता रहे हंै। किसान राधेश्याम चटप का कहना है कि सरकार एक ओर किसान की आय दुगनी करने की बात करती है तो दूसरी ओर बाजार में फसल के रेट जमीन पर आ रहे ।
तेजी से गिरी आवक
मंडी में चार दिन में अरहर की आवक कम हो गई है। शुक्रवार को मात्र 200 क्विंटल की आवक रही। मंडी प्रशासन की माने तो भावांतर योजना के तहत अरहर के लिए हुए पंजीयन के अनुसार सीजन के शुरुआत से ही आवक कम है। अब तक अरहर की आवक मात्र आठ हजार क्वि. है। गौरतलब है कि योजना में 4690 किसानों ने पंजीयन किया है।
नाफेड की खरीदी शुरु हो
किसान मांग कर रहे हैं कि अरहर में नाफेड की खरीदी शुरु हो, ताकि फसल को कम से कम समर्थन मूल्य मिले। बीते सप्ताह यह मुद्दा किसानों की ओर से उठाते हुए ब्लाक कांग्रेस कमेटी ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपा था, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कोई विचार नहीं किया गया।
Created On :   17 March 2018 1:28 PM IST