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जंगली सुअर के हमले में किसान की मौत के बाद फूटा ग्रामीणों का गुस्सा, शव को लेकर किया प्रदर्शन

डिजिटल डेस्क, छिन्दवाड़ा/पांढुर्ना। शुक्रवार की सुबह ग्राम हिवरा सेनाडवार के किसानों का वन विभाग के खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा। शुक्रवार की रात हिवरा सेनाडवार में जंगली सुअर के हमले से हुई किसान गोपाल बाजेराव टोपले (50) की मौत पर किसानों ने यह गुस्सा जताया। किसान की मौत के बावजूद वन विभाग के लापरवाह रवैए पर किसानों ने गहरी नाराजगी जताते हुए लापरवाह वन अधिकारियों को हटाने की मांग उठाई। इसके पहले किसानों ने शव को लेकर पांढुर्ना शहर में रैली निकाली और प्रशासन के खिलाफ कड़ा आक्रोश जताया। सरकारी अस्पताल से रैली के माध्यम से किसानों ने शव को स्ट्रेचर पर रखकर SDM कार्यालय लाया और यहां अधिकारियों से बात की।
आक्रोशित किसानों ने बताया कि रात करीब 9 बजे यह घटना घटी। तड़पते किसान गोपाल टोपले को घायल अवस्था में अस्पताल लाया जा रहा था। पर इसके पहले ही किसान ने दम तोड़ दिया। जंगली सुअर के हमले से हुई मौत से नाराज किसानों ने डिप्टी रेंजर चतरूलाल सलामे से बातचीत करनी चाही, पर वें बात करने को तैयार नही रहे और वरिष्ठ अधिकारियों से बात करने की बात कहते रहे। इसके बाद पांढुर्ना पहुंचकर किसानों ने रेंजर डीएस भलावी को उठाकर अपनी आपबीती बतानी चाही, पर वे भी अपने निवास से बाहर नही आए। किसान के मौत के बाद हुए इस पूरे घटनाक्रम से किसान और आक्रोशित हो गए। किसानों ने कहा कि वन अधिकारी खुद मौके पर पहुंचने के बजाय वरिष्ठ अधिकारियों से बात करने की बात कहते रहे। यह वन विभाग की लापरवाह कार्यप्रणाली का नमूना है।
लिखित आश्वासन के बाद ही माने किसान
सरकारी अस्पताल में सुबह से ही किसानों का आंदोलन शुरू हो गया। यहां से SDM कार्यालय तक पहुंचे किसानों ने करीब दो घंटे तक SDM अतुल सिंह और एसडीओपी खुमानसिंग और अन्य संबंधित अधिकारियों से बातचीत की। बातचीत के बाद SDM के माध्यम से वन विभाग के एसडीओ से मिले लिखित आवेदन के बाद ही किसान आंदोलन रोकने को राजी हुए। प्रशासन ने किसानों को घटना के संबंध में वन विभाग के डिप्टी रेंजर चतरूलाल सलामे, रेंजर डीएस भलावी पर लापरवाही बरतने के चलते अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।
साथ ही मृतक गोपाल टोपले के परिजनों को चार लाख मुआवजा देने, प्रभावित क्षेत्र में जंगली सुअरों की रोकथाम के लिए श्रमिकों की ड्यूटी लगाने और वन विभाग के उपलब्ध संसाधनों से तत्काल ही प्रभावित क्षेत्र में चेनलिंग फेंसिंग लगाने की बात किसानों से कही। इसका एक लिखित आदेश भी किसानों को सौपा गया। बातचीत के दौरान वन विभाग के खिलाफ नारेबाजी करते हुए किसानों ने एसडीओ सहित अन्य वन अधिकारियों को बर्खास्तगी की भी मांग उठाई।
SDM कार्यालय का गेट बंद होने पर बिफरे किसान
रैली के माध्यम से शव लेकर SDM कार्यालय पहुंचे किसान कार्यालय का गेट बंद देखकर बिफर गए। गेट पर ही तैनात SDM अतुल सिंह और एसडीओपी खुमानसिंग सहित अन्य अधिकारियों ने गेट के सामने ही बैठकर बातचीत की पेशकश की, पर किसान इस बात पर बेहद नाराज हो गए। किसानों ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि SDM कार्यालय में किसानों के लिए कोई जगह नही। इस बात पर SDM ने गेट खुलवाकर कार्यालय परिसर में बैठकर किसानों से बातचीत शुरू की।
इनका कहना
यह किसानों का सवाल है, पर प्रशासनिक अधिकारी अपनी जिम्मेदारी समझने को तैयार नही है। हम कई सालों से खेतों से सटे जंगली क्षेत्र में फेंसिंग कराने की मांग उठा रहे हैं, पर विभाग पहल करने को तैयार नहीं है। जिसका खामियाजा किसानों को जान गंवाकर चुकाना पड़ रहा है।
-चंद्रशेखर पराडकर, किसान, हिवरा सेनाडवार
जंगली जानवरों के हमले से किसान जान गंवा रहे है और वन विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा। विभाग के डिप्टी रेंजर से लेकर चौकीदार किसानों को कुछ नही समझते, बात करने को तैयार नही रहते। ऐसे लापरवाह कर्मचारी निलंबित होने चाहिए।
-हिरेन्द्र टोपले, किसान और उपसरपंच हिवरा सेनाडवार
इस पूरे घटनाक्रम में वन विभाग की लापरवाही सामने है। हम प्रकोष्ठ के माध्यम से हिवरा सेनाडवार सहित अन्य सभी क्षेत्रों में फेंसिंग को लेकर वन अधिकारियों से गुहार लगा रहे है, पर विभाग जागने को तैयार नही है। हर साल खेतों में काम करने वाले किसान जंगली जानवरों के हमले से जान गंवा रहे हैं।
-हरनामसिंग सेंगर, अध्यक्ष किसान कांग्रेस प्रकोष्ठ पांढुर्ना
किसान की मौत जंगली जानवर के हमले से हुई है, घटना के बाद वन विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों ने सतर्कता नही दिखाई। जिससे किसान आक्रोशित हुए। लापरवाह अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्रवाई करने एसडीओ वन ने लिखा है। इस पूरे मामले में हम किसानों को पूरी मदद करने को तैयार है। शनिवार को प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण भी करेंगे।
-अतुल सिंह, SDM पांढुर्ना

Created On :   27 July 2018 3:58 PM IST