रासायनिक उर्वरकों से लगातार घट रही है मिट्टी की उर्वरा शक्ति

Fertility power of soil is rapidly decreasing due to chemical fertilizers
रासायनिक उर्वरकों से लगातार घट रही है मिट्टी की उर्वरा शक्ति
रासायनिक उर्वरकों से लगातार घट रही है मिट्टी की उर्वरा शक्ति

डिजिटल डेस्क, नागपुर। संतरानगरी सहित आसपास के मिट्‌टी की उर्वरक क्षमता घटने की चौंकाने वाली जानकारी हाल ही में सामने आई है। मिट्टी के मिजाज के अनुरूप फसल की बुआई और बेहतर उत्पादन के लिए प्रशासन द्वारा मृदा स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाता है। हाल के एक रिपोर्ट में पाया गया है कि अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों का उपयोग के कारण मिट्टी की उर्वरा शक्ति घटने लगी है। मिट्टी में कहीं फास्फोरस की अधिक मात्रा है तो कहीं नाइट्रोजन मध्यम स्तर पर है। कुल मिलाकर देखा जाए तो शहरी और ग्रामीण नागपुर की मिट्टी में आयरन और जिंक की कमी होती जा रही है, जबकि कॉपर भरपूर है।

अलग-अलग क्षेत्रों से सैंपल की जांच
जिले के अलग-अलग क्षेत्रों से 35,000 मिट्टी का सैंपल लेकर जांच की गई है। अधिकांश नमूनों में फास्फोरस की मात्रा अधिक और नाइट्रोजन की मात्रा कम पाई गई है। जिले के अधिकांश किसान कृषि कार्य के लिए यूरिया और डीएपी खाद का उपयोग करते हैं।

क्षेत्रवार मैप हो रहा तैयार
खेतों की मिट्टी का सेंपल लेकर मृदा परीक्षण किया जा रहा है। परीक्षण के बाद क्षेत्रवार मिट्टी की स्थिति कैसी है, इसका मैप भी तैयार किया जा रहा है। मिट्टी की प्रकृति के हिसाब से किसानों को बोनी और खाद का उपयोग करने के संबंध में सलाह दी जा रही है। किसानों को तमाम जानकारियां मृदा स्वास्थ्य कार्ड में उपलब्ध कराई गई है।

मूल कारण और उपाय 
किसान खेतों में उर्वरक का उपयोग सिर्फ अनुमान के आधार पर करते हैं। इसका असर जमीन की उर्वरा शक्ति पर पड़ रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा मृदा स्वास्थ्य परीक्षण कराया जा रहा है। इन्हें साइल हेल्थ कॉड दिया जाता है, उससे किसान अपने खेतों की गुणवत्ता की जांच कर सकते हैं।

मिट्टी क्षारीय हो रही  
कामठी इलाके में मिट्टी की स्थिति डाउन है, मृदा परीक्षण की रिपोर्ट तैयार कर किसानों को दिया जा रहा है, जिसमें सैंपल जांच के बाद मिट्टी में किस उवर्रक की मात्रा ज्यादा है और किसकी कम इसका भी उल्लेख किया जा रहा है। अब तक किए गए परीक्षण में यह खुलासा हुआ है कि कुछ ब्लाक में किसानों ने अधिक रासायनिक खाद का उपयोग किया है। असंतुलित खाद का उपयोग के कारण इन क्षेत्रों में मिट्टी क्षारीय हो गई है। फसलों का ग्रोथ भी समय पर नहीं हो पा रहा है।

क्राप शिफ्ट करने की सलाह
जहां बेहतर मृदा है, वहां शॉट ड्यूरेशन की क्रॉप लगाने की सलाह दी जाती है, जैसे तुअर, ज्वार, सोयाबीन आदि। वर्ष 2017-18 में 52000 सॉयल टेस्ट हुए। कई किसान हमारे पास डायरेक्ट आते हैं। मृदा हेल्थ कार्ड के जरिए किसानों को सलाह दी जाती हैं।
(अर्चना कोचर, जिला मृदा सर्वेक्षण परीक्षण अधिकारी)

पौधों को भी चाहिए पोषक तत्व

जिस प्रकार हमें विभिन्न खाद्य पदार्थों जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन आदि की आवश्यकता होती है ठीक उसी प्रकार पौधों की वृद्धि एवं विकास के लिए कुछ निश्चित तत्वों की आवश्यकता होती है। यह ‘पोषक तत्व’ कहलाते हैं। पौधों को सोलह आवश्यक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है जैसे- कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, गंधक, लोहा, मैंगनीज, तांबा, जस्ता, बोरोन, मोलिब्डेनम तथा क्लोरीन।

इनमें से कुछ जैसे कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, तथा गन्धक की पौधों को अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है, अतः इन्हें ‘मुख्य पोषक तत्व’ कहते हैं। जस्ता, लोहा, मैंगनीज, ताम्बा, बोरोन, मोलिब्डेनम तथा क्लोरीन की पौधों को कम मात्रा में आवश्यकता है अतः इन्हें सूक्ष्म पोषक तत्वों के नाम से जाना जाता है।
 

Created On :   1 Aug 2018 6:30 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story