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राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज ने सामूहिक ध्यान की नई परंपरा अस्तित्व में लाई
डिजिटल डेस्क, तिवसा। भारतभूमि में प्राचीन काल से ध्यानधारणा की परंपरा शुरू है। परंतु राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज ने व्यक्ति केंद्रीत ध्यान की बजाय सामूहिक ध्यान की नई परंपरा अस्तित्व में लाई। क्योंकि ध्यान के प्रभाव से दैनंदिन व्यवहार उत्तम तरीके से होकर मनुष्य की अपेक्षापूर्ति होती है तथा सद् बुद्धी का विकास होकर व्यक्तित्व का विकास होना चाहिए। इसके लिए सामूहिक ध्यान की आवश्यकता है। इस आशय का कथन अखिल भारतीय गुरूदेव सेवा मंडल के सर्वाधिकारी प्रकाश महाराज वाघ ने किया। मंगलवार को गुरुकुंज मोझरी में राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज के 53 वें पुण्यतिथि महोत्सव का प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर प्रकाश महाराज वाघ के हाथों महासमाधि पर तीर्थस्थापना, चरणपादूका पूजन और राष्ट्रसंत की महासमाधि का अभिषेक किया गया। सुबह सीमित गुरूदेव भक्तांे की उपस्थिति में तथा कोरोना के नियमों का पालन करते हुए पुण्यतिथि महोत्सव शुरू हुआ। सुबह 4.30 बजे चरणपादूका पूजन व महासमाधि अभिषेक हुआ। तीर्थस्थापना के बाद सामूहिक ध्यान कार्यक्रम स्मृति सभागृह में किया गया। इस समय सर्वाधिकारी प्रकाश महाराज वाघ ने सामूहिक ध्यान के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि सामूहिक ध्यान यह एक गुरूदेव सेवा मंडल की साधना है। मनुष्य के मन में विचारों के दो प्रवाह चलते है। आत्मानंद अथवा आत्मनाश इन प्रवाह को सही दिशा देने के लिए सामूहिक ध्यान जरूरी है।
ग्रामगीता प्रवचन सहित अन्य कार्यक्रम आज
पुण्यतिथि महोत्सव दौरान 25 अक्टूबर तक विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। दैनंदिन कार्यक्रम में बुधवार 20 अक्टूबर को सुबह 5.30 बजे सामूहिक ध्यान कार्यक्रम में नामदेवराव गवाले अपने विचार रखेंगे। 9 बजे ग्रामगीता प्रवचन, दोपहर 1 बजे स्फूर्ति तरंग ग्रंथ का विवेचन, दोपहर 3 बजे भक्तिसंगीत, शाम 6 बजे सामूहिक प्रार्थना, रात 7 बजे खंजिरीभजन सहित किर्तन कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
Created On :   20 Oct 2021 12:21 PM GMT