सांसद नवनीत राणा की सदस्यता रद्द करने याचिका दायर

File petition against mla navneet kaur rana nagpur in high court
सांसद नवनीत राणा की सदस्यता रद्द करने याचिका दायर
सांसद नवनीत राणा की सदस्यता रद्द करने याचिका दायर

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में अमरावती की सांसद नवनीत कौर राणा के खिलाफ चुनाव याचिका दायर की गई है। आनंदराव अडसुल व सुनील भालेराव ने दो स्वतंत्र याचिकाएं दायर करके राणा की सदस्यता रद्द करने की प्रार्थना की है।  याचिकाकर्ता के अनुसार अमरावती लोकसभा संघ अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित होने के बावजूद लुहाणा जाति की राणा ने यहां से चुनाव लड़ा। उनकी जीत से आरक्षित प्रवर्ग के उम्मीदवारों के हित बाधित हुए हैं। जबकि राणा के पिता का जाति प्रमाणपत्र मुंबई जाति पड़ताल समिति ने रद्द कर दिया है। याचिका में राणा पर प्रक्रिया के विरुद्ध जाकर चुनाव लड़ने और मतदाताओं को अपूर्ण जानकारी देकर चुनाव जीतने के आरोप लगाए गए हैं। इस याचिका पर जल्द ही हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता की ओर से एड. सचिन थोरात और एड. राघव कविमंडन कामकाज देख रहे हैं।

प्रवेश बंदी के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचीं 20 शिक्षा संस्थाएं

यूनिवर्सिटी द्वारा 132 कॉलेजों में प्रथम वर्ष के प्रवेश प्रतिबंधित करने के फैसले के खिलाफ 20 शिक्षा संस्थाओं ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ की शरण ली है। महिला विकास संस्था व अन्य 19 की याचिका में यूनिवर्सिटी द्वारा लिए गए प्रवेश बंदी के फैसले को अन्यायकारण और नियमों के विरुद्ध बताया है। मामले में याचिकाकर्ता का पक्ष सुनकर हाईकोर्ट ने नागपुर यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता के अनुसार नागपुर यूनिवर्सिटी ने उनके यहां पाठ्यक्रम में पढ़ाने के लिए फुल टाइम शिक्षक नहीं होने का कारण बताते हुए प्रवेश प्रतिबंधित किया। लेकिन उनके यहां मान्यता प्राप्त शिक्षक उपलब्ध है, जो कि अध्यापन करने के लिए सक्षम हैं।

यूनिवर्सिटी का स्वयं का नियम है कि ये शिक्षक दो विषय से ज्यादा नहीं पढ़ा सकते, इसलिए इन्हें फुल टाइम शिक्षक का दर्जा नहीं मिलेगा। कॉलेजों की दलील है कि शिक्षकों के पद रिक्त होने पर नागपुर यूनिवर्सिटी ने अपने विभागों में तो कांट्रैक्ट शिक्षकों की नियुक्ति की, लेकिन कॉलेजों को ऐसा करने से रोक दिया। कॉलेजों की दलील है कि उन्हें भी कांट्रैक्ट शिक्षकों की नियुक्ति करने के अधिकार होने चाहिए। इस तरह कॉलेजो की यह भी दलील है कि मौजूदा समय में 5000-6000 रुपए की कोर्स फीस में फुल टाइम शिक्षक नियुक्त करने पर पाठ्यक्रम का खर्च 50000 रुपए पार पहुंच जाएगा। ऐसी तमाम स्थितियों को मद्देनजर रखकर संस्थाओं ने प्रवेश पर से प्रतिबंध हटाने के आदेश यूनिवर्सिटी को जारी करने की प्रार्थना हाईकोर्ट से की है। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड. भानुदास कुलकर्णी ने पक्ष रखा।

Created On :   10 July 2019 8:16 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story