Nagpur News: जिस मां की तेरहवीं की थी, वह 22 साल बाद मिली

मनोचिकित्सालय में मां-बेटे व परिवार का मिलन

Nagpur News प्रादेशिक मनोचिकित्सालय में एक ऐसी महिला का अपने परिजनों के साथ मिलन हुआ, जिस मृत मानकर रीति-रिवाज के साथ तेरहवीं की गई थी। सोमवार को महिला मरीज नोमा का अपने परिवार से पुनर्मिलन हुआ। समाजसेवा अधीक्षक कुंदा बिडकर (काटेखाये) पिछले 13 माह से जानकारी जुटाकर महिला को परिवार दिलाने प्रयास कर रही थीं।

नोमा की बातों से मिले सुराग : साल 2011 में प्रताप नगर पुलिस ने अदालत के आदेश पर एक अज्ञात महिला को मनोचिकित्सालय में भर्ती कराया था। मानसिक बीमारी के कारण उसकी पहचान नहीं हो पा रही थी। लगभग 68 वर्ष की नोमा टूटी-फूटी बंगाली भाषा में कुछ नाम बताती थी। इसके आधार पर पहले पश्चिम बंगाल में खोजबीन की गई। कुछ पता नहीं चलने पर बिडकर ने हार नहीं मानीं। हर माह तीन-चार बार समुपदेशन लेकर ममता की यादें जगाने की कोशिश करती रहीं। धीरे-धीरे नोमा की बातों से कुछ सुराग मिले, जिनके आधार पर मध्य प्रदेश के सागर जिले के बांद्री पुलिस स्टेशन से संपर्क किया गया। थाना प्रभारी सुमेर सिंह ने आगे की जांच की और आखिरकार नोमा का परिवार मिल गया।

परिवार को सौंपी देखभाल की जिम्मेदारी : जब नोमा के बेटे से संपर्क हुआ, तो वह भावनाओं से भर उठा। उसने बताया कि, उसने अपनी मां की तेरहवीं भी कर दी थी। जब वह खोई थीं, तब 8 साल का था। अब मैं 30 साल का हूं। यह पल किसी चमत्कार से कम नहीं। नोमा अब भी मानसिक उपचार के अधीन है। उनके परिवार को भावनात्मक रूप से तैयार करने के लिए काउंसलिंग की गई। परिवार को बताया गया कि, किस प्रकार उन्हें मां की देखभाल करनी है। सोमवार को नोमा को परिवार को सौंप दिया गया। इस अवसर पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सतीश हुमणे, मानसोपचार विशेषज्ञ डॉ. पंकज बागड़े, समाजसेवा अधीक्षक कुंदा बिडकर, बांद्री पुलिस स्टेशन के अधिकारी और अस्पताल के अन्य कर्मचारी उपस्थित थे।


Created On :   28 Oct 2025 3:16 PM IST

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