वित्त आयोगों और स्थानीय निकायों को कर राहत प्रोत्साहन के माध्यम से हरित भवन निर्माण को बढ़ावा देना चाहिए

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति सचिवालय वित्त आयोगों और स्थानीय निकायों को कर राहत प्रोत्साहन के माध्यम से हरित भवन निर्माण को बढ़ावा देना चाहिए- उपराष्ट्रपति श्री नायडू ने कहा- हरित इमारतों को एकल खिड़की मंजूरी प्रदान करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल बनाए जाएं उपराष्ट्रपति ने हरित भवनों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए जन जागरण अभियान चलाने का आह्वान किया भविष्य में बनने वाली प्रत्येक इमारत का निर्माण अनिवार्य रूप से हरित भवन तकनीकि पर आधारित होना चाहिए- उपराष्ट्रपति ग्रीन बिल्डिंग मूवमेंट को जन आंदोलन बनाया जाना चाहिए घर की छत का ठंडा होना सभी के लिए प्राथमिकता का क्षेत्र होना चाहिए- उपराष्ट्रपति उपराष्ट्रपति ने आर्थिक विकास तथा पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाने का आह्वान किया अर्थव्यवस्था और ईको सिस्टम को एक साथ चलना चाहिए श्री नायडू ने 12वें गृह (जीआरआईएचए) शिखर सम्मेलन का वर्चुअल उद्घाटन किया उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज वित्त आयोगों और स्थानीय निकायों से कर राहत प्रोत्साहन सहित विभिन्न उपायों के माध्यम से हरित भवन निर्माण को प्रोत्साहित करने की अपील की। श्री नायडू ने कहा कि, हरित इमारतों को एकल खिड़की मंजूरी प्रदान करने के लिए सभी राज्यों के द्वारा ऑनलाइन पोर्टल बनाए जाने चाहिए। हैदराबाद में गृह (जीआरआईएचए) परिषद द्वारा आयोजित 12वें जीआरआईएचए (एकीकृत आवास के लिए ग्रीन रेटिंग) शिखर सम्मेलन का आज वर्चुअल उद्घाटन करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि, भारत में वैश्विक हरित भवन निर्माण आंदोलन का नेतृत्व करने की क्षमता है। उन्होंने निजी और सरकारी दोनों ही क्षेत्रों में हरित भवन निर्माण की अवधारणा को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। यह मानते हुए कि हरित भवन निर्माण के बारे में लोगों में जागरूकता की काफी कमी है, उन्होंने हरित घर/भवन बनाने के फायदों के बारे में बताने के लिए एक जन जागरूकता अभियान शुरू करने का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति कहा कि "हरित भवन निर्माण करने का अभियान अब लोगों का आंदोलन बन जाना चाहिए"। वर्ल्ड ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल के आंकड़ों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि, दुनिया में ऊर्जा से संबंधित कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन के लिए ज़िम्मेदार इमारतों और निर्माण का 39 प्रतिशत हिस्सा है। उन्होंने पर्यावरण के बचाव के लिए डी-कार्बोनाइजेशन की प्रक्रिया को और तेज करने का आह्वान किया। यह समझते हुए कि, "आत्मनिर्भर भारत अभियान" भारत को सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाने का महत्वपूर्ण प्रयास है, उपराष्ट्रपति ने सतत विकास की ज़रूरत पर बल दिया और उन्होंने इस संबंध में लोगों के बीच जाकर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता जताई। इमारतों को ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक के रूप में स्वीकार करते हुए श्री नायडू ने कहा कि, वर्तमान में सभी हितधारकों द्वारा ठोस और समन्वित प्रयास करने की आवश्यकता है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि, इमारतें पर्यावरण के अनुकूल तथा ऊर्जा और संसाधन-कुशल हों। उन्होंने कहा कि, "आज भवन बनाने में हम जिस निर्माण सामग्री का उपयोग कर रहे हैं, वह टिकाऊ होनी चाहिए और यह किसी भी तरह से भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता को खतरे में डालने वाली नहीं होनी चाहिए।" श्री नायडू ने कई सरकारी और निजी निकायों द्वारा भविष्य को ध्यान में रख कर इमारतों का निर्माण करने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उपराष्ट्रपति ने इच्छा ज़ाहिर की कि, भविष्य की प्रत्येक इमारत को अनिवार्य रूप से हरित बनाना चाहिए और साथ ही यह व्यवस्था सभी प्रकार के भवनों पर लागू होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि, नई इमारतें ही नहीं, बल्कि मौजूदा भवनों को भी पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए रेट्रोफिटेड होना चाहिए। इस बात का ज़िक्र करते हुए कि, हमारे प्राचीन सभ्यतागत मूल्य हमें प्रकृति के साथ सद्भाव से रहना सिखाते हैं, उपराष्ट्रपति ने देश के पूर्वजों द्वारा हजारों वर्षों से परिष्कृत हमारे पारंपरिक और प्रकृति के अनुकूल घरों के डिजाइनों को फिर से समझने तथा उनके उपयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि, “दुर्भाग्य से हमारी आधुनिक संरचनाएँ ऐसी हैं कि, कोई भी गौरैया हमारे घर में घोंसला नहीं बना सकती है और यह हमारी संस्कृति नहीं है”। यह चेतावनी देते हुए कि, जलवायु परिवर्तन वास्तविक हैं और यह हमें काफी प्रभावित करते हैं, श्री नायडू ने कहा कि, आज आर्थिक विकास एवं पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाने की बेहद ज़रूरत है।
Created On :   16 Dec 2020 1:14 PM IST