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कोड से पता करें कितनी सेफ है पानी की प्लास्टिक बोतल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वैज्ञानिक शोध में यह साबित हुआ है कि प्लास्टिक की बोतल में मौजूद केमिकल (बिसफिनॉल ए) हेल्थ के लिए नुकसानदायक होता है। इसीलिए प्लास्टिक की बोतल में पानी पीना खतरनाक हो सकता है। कई लोग मिनरल वाटर की बोतल या कोल्डड्रिंक की बोतल खाली हो जाने के बाद कई दिनों तक उसमें पानी भरकर पीते हैं। ऐसे में ये कैमिकल बॉडी में पहुंचकर नुकसान पहुंचाता है। जब हम इन बोतलों में पानी भरकर किसी गर्म जगह पर रख देते हैं तो पानी में केमिकल्स और तेजी से फैलने लगते हैं। इसमें मौजूद पॉलिथिलीन टेपेफथालेट केमिकल बॉडी में पहुंचकर कैंसर जैसी घातक बीमारी का कारण बन सकता है। इसके मद्देनजर राज्य सरकार ने गुड़ीपाड़वा से प्लास्टिक पर पाबंदी लगाने का भी ऐलान किया हुआ है। इस फरमान के तहत बोतल व अन्य प्लास्टिक सामग्री के इस्तेमाल पर कड़ी सजा और दंड का प्रावधान भी किया गया है। बावजूद इसके अब भी लोग जागरूक नहीं हो रहे हैं और वे धड़ल्ले से प्लास्टिक का इस्तेमाल कर रहे हैं। इतना ही नहीं अन्न एवं औषधि प्रशासन और ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड विभाग द्वारा प्लास्टिक बोतलों के मामलों में कार्रवाई नहीं की जा रही है। रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड के अलावा गली और चौराहों में रीयूज्ड बोतलों का उपयोग पानी के साथ ही शीतपेय में भी हो रहा है। इस तरह की लापरवाही से जनता के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा होने की आशंका पैदा हो चुकी है।
स्लो पॉइजन का काम भी कर सकती है बोतल
दुनिया में शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने प्लास्टिक बोतल से पानी नहीं पीया हो। घर से ऑफिस तक सभी जगह हम प्लास्टिक बोतल से ही पानी पीते हैं। लगभग सभी घर में फ्रिज में पानी की बोतल प्लास्टिक की होती है। वहीं, दूसरी तरफ ट्रैवल के दौरान भी जो मिनरल वाटर लेते हैं वो प्लास्टिक बोतल में पैक्ड होता है। अब सुनिए, आप जिस प्लास्टिक बोतल से बार-बार पानी पीते हैं, वो आपके लिए स्लो पॉइजन का काम भी कर सकती है। दरअसल, सभी प्लास्टिक बोतल के नीचे एक कोड होता है। इस कोड से बोतल की क्वालिटी और यूज करने के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है, लेकिन अक्सर जानकारी नहीं होने के चलते हम ध्यान नहीं दे पाते हैं। प्लास्टिक बोतलों को बनाने में टॉक्सिक (जहरीले) केमिकल्स यूज किया जाता है। हालांकि इस केमिकल्स का सभी बोतलों में एक समान इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसलिए प्लास्टिक की सभी बोतल से खतरा नहीं होता है। इन बोतलों से किसी तरह का खतरा नहीं हो, इसके लिए बोतल के बॉटम में एक कोड दिया जाता है। इस कोड को देखकर आप बोतल के यूज का पता लगा सकते हैं।
बोतलबंद पानी के मामले में ताक पर कानून
अन्न एवं औषधि प्रशासन के मुताबिक बोतलबंद पानी के उपयोग को लेकर नियमावली का निर्धारण ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड करता है। इसी विभाग की नियमावली को पैकेज्ड पानी के प्लांट के लिए पालन करना होता है। नियमों के तहत फूड ग्रेड का कड़ाई से पालन करना होता है। फूड ग्रेड में खाद्यान्न एवं पेय पदार्थ के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा वाले प्लास्टिक का इस्तेमाल अनिवार्य होता है। इस मामले में हानिकारक प्लास्टिक इस्तेमाल की शिकायत मिलने पर बीआईएस और अन्न एवं औषधि प्रशासन का दस्ता नमूने लेता है। इन नमूनों को जांच के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग की पुणे स्थित प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा जाता है। नमूने में गुणवता में कमी पाये जाने पर 6 माह की कैद एवं 1,000 रुपए दंड लगाने का प्रावधान है, लेकिन आम जनता को नियमावली अथवा प्रावधानों के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। यही कारण है कि हानिकारक श्रेणी की बोतलों और प्लास्टिक का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है।
Created On :   27 May 2018 2:37 PM IST