पहला प्रयोग: नहर नहीं हौज सिस्टम से मिलेगा पानी

First experiment: water will provided from Hodge system instead of canal
पहला प्रयोग: नहर नहीं हौज सिस्टम से मिलेगा पानी
पहला प्रयोग: नहर नहीं हौज सिस्टम से मिलेगा पानी

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। जमुनिया माइक्रो इरीगेशन के बाद पेंच परियोजना के जरिए जिले में अब हौज इरीगेशन सिस्टम का प्रपोजल तैयार हो रहा है। पेंच की हरदुआ डिस्ट्रीब्यूटरी केनाल की मांडवा सब डिस्ट्रीब्यूटरी नहर के स्थान पर हौज इरीगेशन सिस्टम से सिंचाई होगी। उक्त सिस्टम के तहत करीब साढ़े तीन हजार हेक्टेयर भूमि में पाइप लाइन के जरिए खेतों में पानी पहुंचेगा। हौज  इरीगेशन सिस्टम का फिलहाल प्रपोजल तैयार किया जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक प्रपोजल शासन को भेजा जाएगा। वहां से अप्रूवल के बाद आगे प्रक्रिया होगी। 

सब डिस्ट्रीब्यूटरी की टेंडर प्रक्रिया निरस्त : 
करीब 30 किलोमीटर लंबी मांडवा सब डिस्ट्रीब्यूटरी नहर निर्माण के लिए जल संसाधन विभाग ने टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी थी। भोपाल में हुई वरिष्ठ अधिकारियों की चर्चा के बाद उक्त टेंडर प्रक्रिया को निरस्त कर दिया गया है। करीब 32 करोड़ की राशि से उक्त सब डिस्ट्रीब्यूटरी का निर्माण होना था। 

कैसे काम करेगा हौज सिस्टम: 
हौज इरीगेशन सिस्टम लगभग माइक्रो इरीगेशन सिस्टम की तरह ही होगा।  माइक्रो इरीगेशन में पानी डेम से लिफ्ट किया जाएगा। जबकि हौज इरीगेशन सिस्टम में नहर से पानी लेकर पाइप लाइन के जरिए करीब 15 हेक्टेयर तक पहुंचाया जाएगा। इसके बाद किसान अपने पाइप से पानी लेकर खेतों में सिंचाई कर सकेंगे। 

मांडवा में हौज सिस्टम क्यों: 
- करीब 30 किमी मांडवा डिस्ट्रीब्यूटरी नहर में 10 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि आड़े आ रही थी।
- जमीन अप-डाउन होने के साथ ही कटिंग व फिलिंग की बड़ी समस्या नहर में आ रही थी।
- नहर बनाने भू-अर्जन समेत खुदाई में लागत अधिक आ रही थी। 

क्या फायदे होंगे उक्त सिस्टम से: 
- पाइप लाइन के जरिए सिंचाई में पानी की बर्बादी रुकेगी। नहर से करीब 40 फीसदी तक पानी का बर्बाद होता है।
- अंडर ग्राउंड पाइप लाइन बिछाने के लिए कम मात्रा में भू-अर्जन की आवश्यकता होगी।
- सिंचाई के नए सिस्टम का असर उपज पर भी दिखाई देगा, किसानों को फायदा होगा। 

इनका कहना है.. 
मांडवा सब डिस्ट्रीब्यूटरी नहर के स्थान पर हौज सिस्टम से सिंचाई का प्रपोजल बनाया जा रहा है। उक्त सिस्टम से खर्च कम आएगा, जबकि सिंचाई अधिक हो सकेगी। 
- राजीव फिरके, ईई पेंच परियोजना

Created On :   25 April 2018 2:09 PM IST

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