उपयोग बदल कर फ्लैट स्कीम बनाने वालों पर गिरेगी गाज

Flat scheme makers will suffer due to change utility of area
उपयोग बदल कर फ्लैट स्कीम बनाने वालों पर गिरेगी गाज
उपयोग बदल कर फ्लैट स्कीम बनाने वालों पर गिरेगी गाज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। उपराजधानी सहित राज्य भर में जमीन की उपयोगिता बदलकर बनी फ्लैट स्कीम सहित अनधिकृत योजनाओं पर गाज गिरने जा रही है। सरकार ने इनकी दोबारा जांच कर कार्रवाई करने को कहा है। विशेष यह कि सरकार ने इस बार रजिस्ट्री कार्यालय को भी जांच में शामिल किया है। जो भी अनधिकृत इमारत व निर्माणकार्य है, उसकी सूची रजिस्ट्री कार्यालय (जेडीआर) को सौंपकर उनसे पहले मंजूरी लेना है। अगर रजिस्ट्री कार्यालय से जमीन की उपयोगिता, मुद्रांक शुल्क या अन्य कोई आपत्ति जताता है तो स्थानीय निकाय व रजिस्ट्री कार्यालय मिलकर संंबधित पर कार्रवाई की जाएगी। 3 मई को इस संबंध में नगररचना विभाग के उपसचिव शंकर जाधव ने परिपत्रक जारी किया है। 

ग्राहकों को खामियाजा भुगतना पड़ता है 
राज्य के नागरी क्षेत्रों में अनधिकृत इमारत निर्माणकार्य की समस्या गंभीर होती जा रही है। बिल्डर द्वारा नियमबाह्य और अपर्याप्त अनुमति लेकर निर्माणकार्य किया जा रहा है। इसके बाद फ्लैट व संपत्ति की बिक्री की जाती है। ऐसे व्यवहारों का पंजीयन संबंधित दुय्य्म निबंधक के पास होता है। लेकिन जब उक्त निर्माणकार्य अनधिकृत होने का खुलासा होता है, तब स्थानीय निकाय संस्था या नियोजन प्राधिकरण द्वारा कार्रवाई की जाती है। मगर तब तक काफी देर हो चुकी होती है। निर्दोष फ्लैट धारक या ग्राहकों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।  

शहर में अनेक स्कीम विवादों में 
नागपुर में भी ऐसे अनेक मामले हैं। अनेक नामी फ्लैट स्कीम विवादों में हैं। कई जगह जमीन की उपयोगिता बदलकर फ्लैट स्कीम बनाई गई है। लेकिन इसकी सरकार से अनुमति तक नहीं ली गई। ऐसे में सरकार ने संबंधित योजनाओं की दोबारा जांच करने को कहा है। अनधिकृत निर्माणकार्य बाबत महाराष्ट्र महानगरपालिका अधिनियम की धारा 260, 267 व 267 (अ) और महाराष्ट्र प्रादेशिक नगररचना अधिनियम 1966 की धारा 52, 53 व 54 अनुसार कार्रवाई की जाएगी। 

यह करना होगा 
*सभी संबंधित नागरी स्थानीय स्वराज्य संस्था, नियोजन प्राधिकरण को प्रभाग अनुसार अधिकृत व अनधिकृत निर्माणकार्य की सूची सर्वे नंबर व बिल्डरों के नाम सहित उनकी वेबसाइट पर डालनी होगी।  
*निर्माणकार्य तोड़ने की नोटिस देते समय ही मनपा को संबंधित कोर्ट में केवियट दाखिल करना होगा, ताकि कोई उस पर स्थगन न ला सके। इसके अलावा अनधिकृत इमारत व निर्माणकार्य की सूची संबंधित दुय्यम निबंधक को सौंपनी होगी।  
*दुय्यम निबंधक कार्यालय को  संबंधित इमारत के फ्लैट बाबत खरीदी व्यवहार की जानकारी प्राधिकरण को देनी होगी। जिन प्रकरणों में स्थगन आदेश है, ऐसे प्रकरणों में संबंधित
न्यायालय को इमारत अनधिकृत होने, ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी होने आदि विषय ध्यान में लाकर स्थगन उठाने के लिए न्यायालय से विनती करना होगा।   

 
 

Created On :   13 May 2018 3:57 PM IST

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