यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह सामने आई खामियां , किसी को मिले 20 मेडल तो किसी को एक भी नहीं

Flaws comes in front in nagpur university convocation cermony
यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह सामने आई खामियां , किसी को मिले 20 मेडल तो किसी को एक भी नहीं
यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह सामने आई खामियां , किसी को मिले 20 मेडल तो किसी को एक भी नहीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में खामियां ऐसी सामने आई है जिसमें किसी को 20 मेडल मिले को कोई उत्कृष्ट प्रदर्शन के बाद भी वंचित रहा। दीक्षांत समारोह में एलएलबी पाठ्यक्रम में सर्वाधिक 20 मेडल और पुरस्कार से उत्कृष्ट विद्यार्थी को नवाजा गया। इसी पाठ्यक्रम में दूसरे स्थान पर रहे विद्यार्थी को 13 मेडल और पुरस्कार दिए गए। दीक्षांत समारोह मेें कई पाठ्यक्रमों में टॉप करने वाले विद्यार्थी भी मौजूद थे, मगर उन्हें देने के लिए विवि के पास कोई मेडल या पुरस्कार नहीं था। यह केवल इस वर्ष के दीक्षांत समारोह की नहीं, बल्कि हर वर्ष की कहानी है। किसी पाठ्यक्रम के लिए 20 गोल्ड मेडल तो किसी पाठ्यक्रम के लिए एक भी नहीं, यह यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह की विसंगति बनी हुई है। इसी विसंगति को दूर करने के लिए यूनिवर्सिटी  ने एक बदलाव करने का निर्णय लिया है। अब से जो भी दानदाता यूनिवर्सिटी  से किसी पाठ्यक्रम में मेडल या पुरस्कार देने की इच्छा जताएगा, तो यह यूनिवर्सिटी  तय करेगा कि दानदाता की राशि से किस पाठ्यक्रम के लिए मेडल या पुरस्कार दिया जाएगा। इससे उन पाठ्यक्रमों में भी मेडल और पुरस्कार मिलना शुरू होगा, जिनमें अब तक कोई सम्मान नहीं दिया जाता था। 

इस प्रकार है मेडल देने की प्रक्रिया
वर्ष 1923 में स्थापित यूनिवर्सिटी  से कई ऐसे होनहार विद्यार्थी निकले है, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में खासा नाम कमाया है। ऐसे ही प्रसिद्ध हस्तियों के नाम पर उनके परिवारजन या चाहने वाले मेडल या पुरस्कार देने की इच्छा रखते हैं। यूनिवर्सिटी  के नियमों के अनुसार दानदाता सारे नियमों और पात्रताओं की पूर्ति के बाद एक निर्धारित रकम डिपॉजिट करके मेडल शुरू किए जाते है।  इसके बाद डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज से अगले दीक्षांत समारोह के लिए मेडल जारी रहता है। लेकिन इसमें एक समस्या यह हो रही है कि दानदाताओं की इच्छा अनुसार पाठ्यक्रम में मेडल या पुरस्कार शुरू होता है। इस कारण एक ओर लॉ, साइंस और कॉमर्स जैसे पाठ्यक्रमों में बड़ी संख्या में मेडल और पुरस्कार हो गए है, तो कई पाठ्यक्रमों में एक भी पुरस्कार नहीं दिया जाता। 

यह भी है वजह
विविध पाठ्यक्रमों के लिए दानदाताओं के सहयोग से ये मेडल तैयार किए जाते हैं। यूनिवर्सिटी में कई दशकों पुराने मेडल हैं, जो वर्ष 1923 से होने वाले दीक्षांत समारोह में दिए जा रहे हैं। तब से मेडलों के लिए जो दानराशि दी गई, वह आज के दौर के लिहाज से काफी मामूली और नाकाफी है। ऐसे में यूनिवर्सिटी को दीक्षांत समारोह में कई मेडल बोझ लगने लगे हैं। लिहाजा, यूनिवर्सिटी  ने दानदाताओं को मेडल के लिए दानराशि बढ़ाने को कहा है। इस बार के दीक्षांत समारोह के लिए यूनिवर्सिटी को 34 दानदाताओं ने बढ़ी हुई रकम प्रदान की है, लेकिन कई मेडल ऐसे भी हैं, जिसके लिए कोई दानदाता या उनका कोई वंशज नहीं है।

जरूरी है यह
विवि की मौजूदा प्रणाली के अनुसार दानदाताओं की मर्जी के पाठ्यक्रम में मेडल और पुरस्कार दिया जाता है। मगर अब जो दानदाता हमारे पास आएंगे, हम उनके सामने हमारी इच्छा के पाठ्यक्रम मंे मेडल देने की शर्त रखेंगे। ऐसा करने से ही अन्य कई पाठ्यक्रमों में मेडल और पुरस्कारों की शुरुआत होगी। 
- डॉ.सिद्धार्थविनायक काणे, कुलगुरु नागपुर यूनिवर्सिटी 

Created On :   26 March 2018 5:53 AM GMT

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