बिजली कंपनियों की मनमानी : ईंट प्लांट पर मंडरा रहा संकट, नियमों की धज्जियां उड़ाकर फ्लाई ऐश बेचने पर हैं आमदा

Fly ash manufacturing units are on the path of shutting down due to electric companies
बिजली कंपनियों की मनमानी : ईंट प्लांट पर मंडरा रहा संकट, नियमों की धज्जियां उड़ाकर फ्लाई ऐश बेचने पर हैं आमदा
बिजली कंपनियों की मनमानी : ईंट प्लांट पर मंडरा रहा संकट, नियमों की धज्जियां उड़ाकर फ्लाई ऐश बेचने पर हैं आमदा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकार कानून बनाए या जीआर निकाले, बिजली कंपनियां अपनी मनमानी में ही जुटी हैं। इसके चलते बूटीबोरी, खापरी, उमरेड, बूंदी, सोमलवाड़ा, सालेधाबा, देवरी सावंगी, एमआईडीसी सी-जोन, किनी मारकस, जामठा, उमरेड, हिंगना, शंकरपुर, वर्धा आदि स्थानों पर लगे फ्लाई ऐश की ईंट बनाने वाले 50 से अधिक प्लांट बंद हो गए हैं या बंद होने की कगार पर हैं। स्थिति यह है कि किसी का बैंक कर्ज अनार्जित अस्ति (एनपीए) में चला गया है, तो किसी के यहां खाने के लाले पड़ गए हैं। 

नई नीति बनी थी
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वर्ष 2016 में फ्लाई ऐश के लिए नई नीति बनाई थी। इसके अनुसार, हर बिजलीघर को निकलने वाली राख का पूर्ण प्रयोग करना आवश्यक किया गया है। साथ ही फ्लाई ऐश का प्रयोग करने वाले उद्योगों और अन्य निर्माण कार्यों के लिए फ्लाई ऐश मुफ्त में देने के निर्देश हैं। इतना ही नहीं, निजी प्रयोग के लिए 100 किमी. तथा शासकीय कार्यों में 200 कि.मी. तक परिवहन भी करके देना है। इसके लिए कोई भी शुल्क नहीं लिया जा सकता है। 

कहा कुछ, कर रहे कुछ और 
भले ही नीति में कुछ कहा गया हो, लेकिन बिजलीघर हैं कि दिशा निर्देश मानने को खाली नहीं हैं। रंगदारी इतनी है कि फ्लाई ऐश के लिए रकम अग्रिम ली जा रही है और उसका बिल भी दिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, बूटीबोरी स्थित एक बिजलीघर आस-पास स्थित ईंट प्लांटों को फ्लाई ऐश की आपूर्ति करता है। पहले फ्लाई ऐश मुफ्त दी गई। हालांकि ढुलाई ईंट प्लांट वालों को ही करानी पड़ी। इसके बाद फ्लाई ऐश को भी बेचा जाने लगा। कीमत रखी 21 रुपए प्रति टन जगह पर, ढुलाई अलग। अक्टूबर में दर बढ़ाकर 52 रुपए प्रति टन और जीएसटी अतिरिक्त कर दी गई। यह दर सुनकर ईंट प्लांट वालों के हाथ-पैर फूल गए। एक प्लांट को सामान्यत: क्षमता के अनुसार प्रतिदिन करीब 20 टन फ्लाई ऐश लगती है। डीजल के दामों वृद्धि के चलते ढुलाई की दरों में भी वृद्धि हुई है। इससे ईंट प्लांट चलाने वालों की कमर ही टूट गई है।

बंद हुए प्लांट
एमआईडीसी सी जोन 5, देवरी सावंगी 2,  जामठा 2, उमरेड 4, हिंगना 3, शंकरपुर 2, वर्धा 2, सालेधाबा 2। यह प्लांट या तो बंद हो चुके हैं या फिर बंद होने की कगार पर हैं। इसके अलावा और भी कई प्लांट बंद हुए हैं। 

नेताओं के लगाए चक्कर
जैसे ही बिजलीघर ने दाम बढ़ाए ईंट बनाने वाले प्लांट मालिकाें के हाथ-पैर फूल गए। उल्लेखनीय है कि फ्लाई ऐश इन ईंटों का मुख्य कच्चा माल है। दाम बढ़े तो फ्लाई ऐश ब्रिस्क एंड ब्लाकस मेन्यूफेक्चरिंग वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले मुख्यमंत्री सहित कई नेताओं से मुलाकात की गई और ज्ञापन दिए गए। तब कहीं जाकर बिजलीघर ने दर कम कर 30 रुपए प्रति टन जीएसटी अतिरिक्त की। ईंट बनाने वालों का कहना है कि फ्लाई ऐश को इस दर पर लेना और ढुलाई चुकाना उनके बस की बात नहीं है। इससे अच्छा तो प्लांट ही बंद कर दें। 

नहीं मिल रहा किसी का सहयोग
तीन भाई हैं। सब पढ़े-लिखे किसान हैं। सोचा खेती के भरोसे कितना काम होगा। बूटीबोरी औद्योगिक क्षेत्र के पीछे ही साले धाबा में 5 एकड़ जमीन है। बैंकों के पीछे घूमा कि जमीन पर कर्ज मिल जाए। 2 साल घूमने के बाद भी जब कर्ज नहीं मिला तो पिताजी ने डेढ़ एकड़ जमीन बेच दी। करीब 40 लाख रुपए लगाकर प्लांट खड़ा किया। अब मुफ्त मिलने वाली फ्लाई ऐश के लिए भी पैसे देने पड़ रहे हैं। इससे ईंट बनाना ही मंहगा हो गया। जिस भाव से बेचनी पड़ती है उसमें जेब से ही पैसे खर्च हो रहे हैं। इससे पिछले 3 माह से प्लांट बंद है। परिवार मुश्किल में आ गया है। 
-सोन बनकर, निर्माता

कार्रवाई होगी
नियम का पालन सभी बिजलीघरों को करना है। नीति के अनुसार बिजलीघरों को फ्लाई ऐश मुफ्त देना है। वह भी निजी कार्य के लिए 100 किमी ढुलाई कर के। यदि ऐसा हो रखा है, तो जांच कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 
-चंद्रशेखर बावनकुले, ऊर्जामंत्री

ईंट निर्माताओं के हाल

यूनाईटेड किंगडम में 10 साल से था। अच्छी नौकरी थी। अपने देश में कुछ करने की इच्छा जागी। वर्ष 2011 में सब छोड़कर वापस आ गया। घर गिरवी रखकर बैंक से कर्ज लिया और उमरेड में वर्ष 2016 में फ्लाई ऐश से ईंट और ब्लॉक बनाने का प्लांट लगाया। मालूम था कि फ्लाई ऐश मुफ्त मिलेगी। वो भी ढुलाई के साथ। शुरू में बूटीबोरी स्थित बिजलीघर ने मुफ्त में फ्लाई ऐश दी। ढुलाई करीब 190 रुपए टन से देनी पड़ी। डीजल के भाव बढ़े तो ढुलाई 280 रुपए टन हो गई। कुुुछ माह पूर्व से  बिजलीघर ने फ्लाई ऐश के लिए कीमत लेनी शुरू कर दी 21 रुपए टन। करीब 2 माह  पूर्व इसकी दर बढ़ाकर 52 रुपए टन जीएसटी अतिरिक्त कर दी। इस दर पर फ्लाई ऐश लेकर प्लांट चलाना बस की बात नहीं है। पिछले 3 माह से प्लांट बंद पड़ा है। बैंक कर्ज की किस्त भरने का दबाव बना रही है और कर्ज को एनपीए करने की चेतावनी दे रही है। मैं पूरी तरह बर्बाद हो चुका हूं। प्रशासन भी मदद नहीं कर रहा। 
-तुषार विशोरकर, निर्माता, सहसचिव एसोसिएशन

Created On :   13 Dec 2018 8:29 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story