बहन की शादी टूटी तो 30 साल से साइकिल चलाकर देशभर में जगा रहे दहेज रहित विवाह की अलख

For 30 years, the awareness of dowry-free marriage has been awakening across the country.
बहन की शादी टूटी तो 30 साल से साइकिल चलाकर देशभर में जगा रहे दहेज रहित विवाह की अलख
कई राज्यपाल कर चुके हैं सम्मानित, पाँच बार कर चुके हैं पूरे देश का भ्रमण बहन की शादी टूटी तो 30 साल से साइकिल चलाकर देशभर में जगा रहे दहेज रहित विवाह की अलख

डिजिटल डेस्क जबलपुर । दहेज के चलते बहन की शादी टूट गई। इसकी पीड़ा कुछ इस तरह दिल में घर कर गई कि 18 साल का युवक देश को जागरूक करने साइकिल से ही निकल पड़ा। बीते 30 सालों से वह रोजाना साइकिल चलाकर नई-नई जगह पहुँच रहे हैं। लोगों को सेमिनार और लेक्चर के माध्यम से दहेज उन्मूलन का संदेश दे रहे हैं। वह कन्या भ्रूण हत्या, नशा मुक्ति और स्वच्छता के लिए भी लोगों को जागरूक कर रहे हैं। दो दिन पहले भाऊ साहेब जबलपुर पहुँचे। साइकिल में टँगी जागरुकता का संदेश देने वाली तख्तियाँ देखकर लोग भी उनकी तरफ आकर्षित हुए। अभी वे रानीताल स्थित हॉस्टल में रुके हुए हैं। भाऊ ने बताया कि वे अब तक पूरे देश का पाँच बार भ्रमण कर चुके हैं। महाराष्ट्र के जालना जिला हसनाबाद गाँव निवासी भाऊ साहेब भवर उम्र 48 वर्ष ने बताया कि 30 साल पहले 1993 में उनकी बहन का रिश्ता तय हुआ। तब वे केवल 18 साल के थे। लड़के वालों ने दहेज की माँग की। घर की आर्थिक परिस्थिति ऐसी नहीं थी कि उनके परिजन दहेज दे सकें। दहेज नहीं होने के कारण उनकी बहन का रिश्ता टूट गया। इसकी टीस उनके दिल में इस तरह समाई की उन्होंने दहेज उन्मूलन का संकल्प लिया और साइकिल से देश को जागरूक करने निकल पड़े। भाऊ साहेब दहेज जैसी कुप्रथा के खिलाफ लोगों को जानकारी देते हैं। लोगों से बातचीत करते हैं और कहते हैं कि समाज के सर्वनाश के पीछे का मुख्य कारण दहेज है। इसलिए इसे हमेशा के लिए बंद करना होगा।
नहीं रखते मोबाइल और अकाउंट
भाऊ साहेब ने बताया कि न तो उनके पास कोई मोबाइल है और न ही उनका कोई अकाउंट नंबर है। वे जहाँ भी जाते हैं, लोग उनके रुकने और खाने का प्रबंध कर देते हैं। भाऊ साहेब बताते हैं कि साइकिल ही उनका घर है। वे साइकिल पर ही सारा सामान रखकर चलते हैं जो करीब 80 किलोग्राम तक का रहता है। वह अपनी साइकिल के सामने नेम प्लेट की तरह अपना नाम लिखकर और दो तिरंगे झंडे भी लगाए हुए हैं।
मिले कई सम्मान 
 भाऊ साहेब को अब तक कई राज्यों में सम्मानित किया जा चुका है। राज्यपाल तक से उन्हें सम्मान मिला है। वे बताते हैं कि उनका मकसद केवल लोगों को जगाना है, ताकि कुप्रथाओं का अंत किया जा सके। भाऊ साहेब को गूगल में साइकिलिस्ट भाऊसाहेब के नाम से भी सर्च किया जा सकता है। 
 

Created On :   2 Oct 2021 1:49 PM IST

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