ऐसा पहली बार - चित्रकूट की मंदाकिनी को प्रदूषण मुक्त करने हर्बल ट्रीटमेंट शुरु 

For the first time - herbal treatment started to free Chitrakoots Mandakini pollution
ऐसा पहली बार - चित्रकूट की मंदाकिनी को प्रदूषण मुक्त करने हर्बल ट्रीटमेंट शुरु 
ऐसा पहली बार - चित्रकूट की मंदाकिनी को प्रदूषण मुक्त करने हर्बल ट्रीटमेंट शुरु 

डिजिटल डेस्क सतना। पवित्र तीर्थस्थल चित्रकूट की मंदाकिनी गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए हर्बल ट्रीटमेंट शुुरु कर दिया गया है। जानकारों ने बताया कि समूचे विंध्य क्षेत्र में ये पहला मौका है ,जब किसी नदी के पारिस्थितिक पुनरोद्धार के लिए ऐसी अनूठी पहल अमल में लाई गई है। पॉयलट प्रोजेक्ट के तहत एमपी-यूपी के सरहदी क्षेत्र पर स्थित मंदाकिनी गंगा के 500 मीटर का चयन किया गया है। जिसमें सतना जिले की सियाराम कुटीर से भरतघाट और फिर उत्तर प्रदेश के रामघाट तक प्रायोगिक तौर पर नदी के प्रदूषित जल को हमेशा के लिए शुद्ध करने के लिए आयुर्वेदिक पद्धति का उपयोग किया गया है। सीएमओ रामकांत शुक्ला ने बताया कि लाखों लाख श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र इस नदी में कई जगह का जल आचमन योग्य नहीं पाए जाने पर नवाचार के जरिए कलेक्टर डा.सतेन्द्र सिंह के निर्देशन में ये पहल की गई है। 
एक माह में असर की उम्मीद 
सीएमओ ने बताया कि मंदाकिनी गंगा में काऊनोमिक्स टेक्नालॉजी पर आधारित इस हर्बल ट्रीटमेंट का जिम्मा वर्णिका एफएमसीजी को दिया गया है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक पद्धति से जल उपचार की तय अवधि के बाद नए सिरे से वाटर सेंपल का शासकीय लैब से परीक्षण कराया जाएगा। अगर, अच्छे परिणाम आए तो   नदी के जलीय जीणोद्धार की अन्य प्रक्रियाएं प्रारंभ की जाएंगी। उधर, परियोजना संचालक प्रदीप द्विवेदी के एक दावे के मुताबिक महज एक माह के अंदर इसके सुखद नतीजे सामने आने लगेंगे। नदी का स्वाभाविक जलीय पारिस्थितिक तंत्र पुन: स्थापित होने लगेगा। श्री द्विवेदी ने बताया कि सत्व कंसलटेंट निखिल आचार्य के लिए ये कोई पहला प्रयोग नहीं है। उन्होंने कहा कि हर्बल ट्रीटमेंट से पूर्व चित्रकूट की मंदाकिनी गंगा के जल नमूनों के परीक्षण में रासायनिक अपशिष्ट, नील-हरित जलीय शैवाल और चीला जैसे अन्य खर पतवार पाए गए थे। 
  ये हैं फायदे 
 हर्बल ट्रीटमेंट से बहते जल के शुद्धीकरण के एक और दावे के मुताबिक इससे जल को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता है। जलकुंभी और खज्जी जैसी समस्या का जहां समाधान हो जाता है,वहीं इस तकनीक से मृत पानी को जीवित किया जा सकता है। दावे के मुताबिक जल की गुणवत्ता में आश्चर्यजनक तरीके से इजाफा होता है और पानी में ऑक्सीजन की मात्रा स्वाभाविक रुप से बढ़ जाती है। 
 इनका कहना है
मंदाकिनी के जल शुद्धीकरण के लिए हर्बल ट्रीटमेंट एक प्रयोग के तौर पर हाथ में लिया गया है। जल की गुणवत्ता का परीक्षण एक निर्धारित समय में कराया जाएगा। अगर, अच्छे परिणाम आए तो नदी के जलीय जीणोद्धार की अन्य प्रक्रिया के लिए वरिष्ठ अधिकारियों से मार्गदर्शन लिया जाएगा। 
 रमाकांत शुक्ला, सीएमओ चित्रकूट 
 

Created On :   15 Jan 2020 9:40 AM GMT

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