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तीसरी बार गोरेवाड़ा की ली बाघिन मातृत्व सुख से वंचित

डिजिटल डेस्क, नागपुर. गोरेवाड़ा प्राणी संग्रहालय में रहने वाली ली नामक बाघिन शनिवार को तीसरी बार मां बनी, लेकिन इस बार भी वह मातृत्व सुख से वंचित रह गई। एक शावक की दांत लगने से मौत हुई, वहीं दूसरा शावक जन्म लेते ही मर गया। ऐसा इस बाघिन के साथ पहली बार नहीं हुआ है। पहले वर्ष 2009 में हुआ था। इसके बाद लगभग डेढ़ साल पहले भी ऐसा हुआ था, जिसमें बाघिन मां बनने के बाद भी मातृत्व सुख से वंचित रह गई थी।
यह है मामला
गोरेवाड़ा स्थित बालासाहेब प्राणी संग्रहालय में ली नामक बाघिन राजकुमार नामक बाघ के साथ रहती है। शनिवार की सुबह 8 बजे उसे प्रसव पीड़ा होने लगी। करीब 8.30 बजे पहले शावक की जन्म लेने की प्रक्रिया शुरू हुई। शावक अभी आधा ही बाहर निकला था कि बाघिन ने अपने मुंह से उसे खींचकर बाहर निकाल दिया, जिससे उसके दांत गर्दन पर लगने से शावक की मौत हो गई। इसके बाद बाघिन की प्रसव पीड़ा रुक गई थी। लेकिन दोपहर 2.30 बजे फिर से उसे पीड़ा शुरू हुई और इस बार और एक शावक को जन्म दिया। जू की टीम ने जल्दी ही बाघिन से शावक को दूर किया, ताकि शावक को बचाया जा सके, लेकिन शावक की मौत हो गई थी। दोनों शावकों का शवविच्छेदन कर अंतिम विधि की गई।
इससे पहले भी हुई थी ऐसी घटना
लगभग डेढ़ साल पहले गोरेवाड़ा जू में रहने वाली बाघिन की प्रसूति हुई थी, लेकिन प्रसूति के तुरंत बाद उसका ही दांत लगने से शावक की मौत हो गई। इसे साहेबराव नामक बाघ से वर्ष 2009 में भी 4 शावक हुए थे, लेकिन मातृत्व की कमी के कारण उनकी भी मौत हो गई। ली बाघिन फिलहाल गोरेवाड़ा में है। उसके साथ राजकुमार नाम का बाघ भी रहता है। दो बार हुए शावक राजकुमार के ही थे, लेकिन तीन बार प्रसूति के बाद भी बाघिन मातृत्व सुख नहीं पा सकी। ली बाघिन को पहले चंद्रपुर जिले से महाराजबाग लाया गया था। वहां से उसे प्रजनन के लिए गोरेवाड़ा लाया गया था। दरअसल, राजकुमार नामक बाघ से तब दहशत फैल गई थी, जब वह भंडारा जिले में एक शादी समारोह के आसपास पहुंच गया था। वहां से पकड़कर उसे गोरेवाड़ा लाया गया। दोनों को एक साथ रखने का मकसद ली बाघिन का प्रजनन था।
Created On :   25 Dec 2022 5:06 PM IST