वन्यजीवों की प्यास बुझाने बनेंगे फायर लाइन व वॉटर होल

Forest department is making fire line and water hole for animals
वन्यजीवों की प्यास बुझाने बनेंगे फायर लाइन व वॉटर होल
वन्यजीवों की प्यास बुझाने बनेंगे फायर लाइन व वॉटर होल

डिजिटल डेस्क,नागपुर।  गर्मी की शुरुआत होते ही फारेस्ट ने वन्यजीवों व जंगल को सुरक्षित रखने की कवायदें  शुरू कर दी है। वन्यजीवों के लिए पानी की कमी न हो, इसलिए वॉटर होल को भरा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर जंगल में लगनेवाली आग पर काबू पाने के लिए फायर लाइन बनाई जा रही है। व्याघ्र प्रकल्प मेलघाट, ताड़ोबा अंधारी, पेंच, सह्याद्री, बोर, नवेगांव-नागझिरा आदि जंगल क्षेत्रों में यह कार्य किए जा रहे हैं। महाराष्ट्र राज्य में कुल फॉरेस्ट एरिया 61 हजार 723 वर्ग किलोमीटर हैं। इसमें प्रादेशिक वन व वाइल्ड लाइफ वन का समावेश है। प्रादेशिक वन अंतर्गत वन विभाग का वह हिस्सा आता है, जहां भविष्य में किसी भी योजना को साकार किया जा सकता है, वहीं वाइल्ड लाइफ वन अंतर्गत वन विभाग की ऐसी जमीन का समावेश होता है, जो घना जंगलनुमा होता है तथा बहुत ज्यादा संख्या में वन्यजीव वहां रहते हैं। 

इन फारेस्ट एरिया पर जारी हैं प्रयास
जानकारी के अनुसार चंद्रपुर, गड़चिरोली, नागपुर, अमरावती, यवतमाल, औरंगाबाद, नाशिक, धुले, ठाणे, पुणे, कोल्हापुर प्रादेशिक वन व नागपुर वाइल्ड लाइफ व मुंबई वाइल्ड लाइफ का क्षेत्र आता है। बाकी मौसम में भले ही वन्यजीवों को प्राकृतिक जलस्रोत से पानी मिल जाता है, लेकिन फरवरी माह से इन स्रोतों का पानी खत्म होने लगता है, जबकि मई में स्थिति और भी विकट हो जाती है। बड़े जल स्रोत का पानी भले ही आखिर तक थोड़ा-बहुत टीका रहता है, लेकिन छोटे स्रोत का पानी समाप्त हो जाता है। ऐसे में वन्यजीवों के लिए पानी कम हो जाता है और वन्यजीव पानी की तलाश के लिए जंगल से सटी बस्तियों की ओर रुख करते हैं। इन बातों को ध्यान में रखते हुए वन विभाग की ओर से जरूरी जगहों पर वॉटर होल बनाए हैं। जरूरत के अनुसार, छोटे-बड़े वॉटर होल जंगली प्राणियों के लिए मुख्य स्रोत साबित होते हैं। इस बार फरवरी माह के अंतिम दिनों में इन्हें साफ करने से लेकर पानी जमा करने की कवायदें शुरू हो गई हैं।

Created On :   27 Feb 2018 12:25 PM IST

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