जेसीबी से मकान उजाड़ने की धमकी दे रहा फारेस्ट विभाग, पुनर्वास स्थल पर है सुविधाओं का अभाव

Forest Department threatening to demolish houses from JCB
जेसीबी से मकान उजाड़ने की धमकी दे रहा फारेस्ट विभाग, पुनर्वास स्थल पर है सुविधाओं का अभाव
जेसीबी से मकान उजाड़ने की धमकी दे रहा फारेस्ट विभाग, पुनर्वास स्थल पर है सुविधाओं का अभाव

डिजिटल डेस्क,नागपुर। पीढ़ियों से जिस मिट्‌टी में रह रहे हैं उसे अब छोड़ने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।टाइगर प्रोजेक्ट के लिए इनका पुनर्वसन किया जा रहा है लेकिन ऐसी जगह जहां मूलभूत सुविधा तक नहीं है। यह व्यथा है रामटेक तहसील के फुलझरी गांव के लोगों की।   42 आदिवासी परिवार पीढ़ियों से यहां रहते हैं। टाइगर प्रोजेक्ट के लिए वहां से 40 किलोमीटर दूर संग्रामपुर में इनका पुनवर्सन किया गया। अब स्थिति यह है कि पुनर्वास स्थल पर मूलभूत सुविधा तक नहीं की गई, परंतु उन्हें स्थलांतरण के लिए दबाव बनाया जा रहा है।

बस्ती छोड़ने तैयार नहीं
42 में से 22 परिवार स्थलांतरित हो चुके हैं, लेकिन 20 परिवार बस्ती छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। वन विभाग उन्हें जबर्दस्ती हटाना चाहता है। ग्रामीणों ने बताया कि नहीं हटने पर जेसीबी चलाकर मकान उजाड़ देने की धमकी दी जा रही है। जिला परिषद उपाध्यक्ष शरद डोनेकर, जनप्रतिनिधि देवा वंजारी, आदिवासी विद्यार्थी संगठन के नेता, पत्रकार इस गांव पहुंचे। ग्रामीणों को पता चला तो अपनी समस्या बतानेे के लिए उन्हें घेर लिया। एक के बाद एक समस्याएं रखीं। उन्होंने बताया कि टाइगर प्रोजेक्ट के लिए सरकार उन्हें 40 किलोमीटर दूर संग्रामपुर में बसाना चाहती है। खेती और वनोपज उनके रोजगार का साधन है। वनोपज से तो वंचित कर ही दिया गया है, अब खेती से भी सरकार वंचित करना  चाहती है। जबर्दस्ती की जा रही है। धमकाया जा रहा है।  

फारेस्ट में प्रवेश पर लगा दी  रोक
एक निवासी शिवकुमार उइके ने बताया कि हमें जंगल के अधिकार से वंचित कर दिया गया है। जंगल में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। गांव को वन विभाग ने तार की बाड़ लगाकर घेर दिया है। पगडंडी, तालाब की ओर जाने वाला रास्ता बंद कर दिया गया है। खेतों में जाने से रोका जा रहा है। तहसीलदार को ज्ञापन देकर रास्ता खोलने की गुहार लगाई। तहसीलदार ने नायब तहसीलदार को जांच कर रास्ता को खोलने का आदेश दिया, परंतु कार्रवाई केवल कागजों तक सीमित रह गई है।

गांव में वाहन ले जाने पर भी रोक
महिलाओं ने बताया कि गांव में प्रवेश वन विभाग के गेट से करना पड़ता है। वहां से कोई भी वाहन ले जाने पर बंदी लगा दी गई है। सामान लाने-ले-जाने के लिए गेट तक पैदल ढोना पड़ता है। यहां तक कि एम्बुलेंस को भी जाने नहीं दिया जाता। 

वैकल्पिक रोजगार नहीं
ग्रामीणों ने बताया कि रोजगार की वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में जमीन देने की हमारी मांग है। अधिकारी जमीन देने के लिए तैयार नहीं है। कहते हैं कि पैसा लेकर गांव खाली कर दो। ग्रामीणों ग्रामीणों का कहना है कि खेती का 7 लाख रुपए एकड़ मुआवजा दिया जा रहा है, लेकिन मकान की फूटी कौड़ी देने के लिए तैयार नहीं है। पुनर्वास कानून के अनुसार 18 प्रकार की मूलभूत सुविधाएं होनी चाहिए, परंतु सुविधाओं के नाम पर उनके साथ धोखा किया जा रहा है।

कहते हैं वन अधिकारी
पत्रकार के फूलझरी पहुंचने की जानकारी मिलने पर वन क्षेत्र सहायक वहां पहुंचे। उन्होंने बताया कि वर्ष 2012 में ग्राम पंचायत ने पुनर्वास का प्रस्ताव पारित किया था। संग्रामपुर में पुनर्वास की सभी व्यवस्था की गई है। किसानों को 18 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर मुआवजा दिया गया है। 18 वर्ष से अधिक उम्र के सदस्य को 10 लाख रुपए अनुदान दिया गया है।

Created On :   2 April 2018 12:27 PM IST

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