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आखिरकार अदालत पहुंचे पूर्व सीएम फडणवीस, 15 हजार के पीआर बांड पर मिली जमानत
डिजिटल डेस्क, नागपुर। चुनाव में शपथपत्र में अपराध के बारे में जानकारी छिपाने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस गुरुवार को जिला न्यायालय ने जमानत दी है। काफी समय से चर्चित यह मामले में फडणवीस न्यायालय में पेश हुए थे। न्यायालय ने उन्हें 15 हजार के पीआर बांड पर जमानत दी है। न्यायालय के बाहर फडणवीस ने मीडिया से चर्चा में कहा कि उनके विरुद्ध अपराध के मामले जनआंदोलन से संबंधित है। पहले ही वे मामले सेटल हो चुके है। न्यायालय में उनके वकील फिर से शपथपत्र के साथ उनका पक्ष रखेंगे। गौरतलब है कि सामाजिक कार्यकर्ता व वकील सतीश उके ने पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस के विरुद्ध जिला न्यायालय में याचिका दर्ज की थी। याचिकाकर्ता का आरोप था कि फडणवीस ने 2014 के विधानसभा चुनाव में बतौर उम्मीदवार चुनाव आयोग को शपथपत्र दिया उसमें उनके विरोध के 2 आपराधिक प्रकरणों की जानकारी नहीं दी। 1996 व 1998 के वे प्रकरण थे। जिला न्यायालय के बाद यह मामला सुनवाई के लिए बांबे उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में पहुंचा था। उच्च न्यायालय ने दोनों पक्ष की पैरवी सुनने के बाद प्रकरण को खारिज कर दिया था। बाद में याचिकाकर्ता ने उच्चतम न्यायालय में पुर्नविचार याचिका दायर की थी। 1 अक्टूबर 2019 को उच्चतम न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षतावाली खंडपीठ ने बांबे उच्च न्यायालय के निर्णय को खारिज करने का आदेश दिया था। बाद में यह प्रकरण फिर से सुनवाई के लिए जिला न्यायालय में आया। जिला न्यायालय ने सुनवाई के बाद 15 हजार के पीआर बांड पर फडणवीस को जमानत दी है।
जनांदोलन में प्राइवेट केस
पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उनके विरुद्ध अपराध के जिन प्रकरणाें का उल्लेख किया जा रहा है वह झुग्गी बस्ती के नागरिकों को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन से संंबंधित है। उस मामले में उनके विरुद्ध दो प्राइवेट केस दर्ज हुए। दोनों मामले में पहले ही सेटल हो चुका है। उन मामलों की सुनवाई नहीं चल रही है। इस पूरे मामले की जानकारी देने के लिए वकील ने शपथपत्र तैयार किया है।
Created On :   20 Feb 2020 12:25 PM GMT